बरसात भी शरमा गई उसकी अदाओं के सामने,
वो भीगी, तो हर लम्हा मोहब्बत सा लगने लगा...-
ना किसी से हैं कोई आशा..
ख़ुद में खोया रहता हूँ,
समझें ना कोई मेरी भाषा.... read more
कहने को तो तुम अपने हो, पर अपनी सी बात नहीं,
हर रोज़ तुम्हें सोचूं मैं, पर मिलती कोई याद नहीं।
हर लम्हा बस ये चाह रहा - कभी तुम भी आवाज़ दो,
दिल के हालात पूछ सको, थोड़ा सा भी अंदाज़ दो।
मैं हर मौसम संग भीग गया, तेरी यादों की बारिश में,
तू धूप बने, मैं छांव बना, फिर भी रहा अधूरा इस प्रयास में।
हर ख़ुशी में तेरा हिस्सा रखा, ग़म भी तुझसे बाँट लिया,
तू एक बार जो पूछ लेता, तो खुद को शायद जान लिया।
क्या इतना भी नसीब नहीं, तू मेरे बारे में कुछ कह लो ?
दो पल के लिए ही सही, कुछ मेरी भी ख़बर लो...-
जबसे आयी तू ज़िंदगी में,
तबसे मुझे ज़िंदगी से प्यार है।
तेरे होने से हर ग़म आसान लगा,
हर लम्हा अब मेरा त्यौहार है।
पहले साँसे तो चलती थीं बस यूँ ही,
अब हर साँस में तेरा इज़हार है।
मैं अधूरा था शायद अपनी नज़रों में,
अब तेरा वजूद ही मेरा संसार है।-
August walked in like a soft song,
Bringing feelings that stay lifelong.
First came Friendship Day, full of cheer,
With bonds of love we hold so dear.
Then came Raksha Bandhan’s thread so bright,
A brother-sister bond, pure and light.
Smiles and sweets, some teasing too,
A love so strong, forever true.
Next, the flag rose high in the sky,
Independence Day, we hold it high.
We salute the brave, their fearless way,
They gave us this proud and free today.
And then, with flute and a little smile,
Came Shri Krishna’s birthday - full of joy.
Songs and bhajans filled the air,
Love for Kanha everywhere.-
वक़्त की रेत मुट्ठी से फिसलती रही,
मैं तुझे थामे खड़ा रहा...
तेरे हर सवाल का जवाब बना,
तेरे हर सन्नाटे में आवाज़ बना...
तू मुस्कुराए... इसी में मैंने दिन-रात बहा दिए,
तेरी परछाईं में खुद को तक भुला दिए।
पर जब तू गया...
सिर्फ तू नहीं गया, साथ में मेरा "वक़्त" भी ले गया।
अब सोचता हूँ -
उन लम्हों का क्या जो मैंने जी ही नहीं,
तेरे लिए जिए...
जो ख्वाब मैंने अपने लिए बुने थे,
वो सब तेरे नाम कर दिए।
अब लौट आ या ना आ तू,
बस मेरा "वक़्त" लौटा दे...
ताकि मैं फिर से "मैं" बन सकूं।-
बीती बातों में मत उलझो,
जो टूटा, वो सबक बना,
जो छूटा, वो एक इम्तिहान बना।
हर दर्द, हर शिकवा वहीं छोड़ दो,
नए सवेरों की ओर रुख मोड़ दो।
वक्त कहता है - "चलना है तुझे,
हर ठहराव के बाद ही तो निखरना है तुझे।
तू अब भी अधूरा नहीं है, बस थका हुआ,
तो आज से एक नई शुरुआत हो,
तेरे हर कदम में फिर से नई बात हो।-
तेरे नयन जो बोले वो शब्द नहीं थे,
वो तो थे मन के मौन संवाद…
जहाँ अश्रु भी बन जाए लिपि,
और धड़कनों की भाषा हो जाए फरियाद।
तेरी साँसों की सरगम में
कुछ अनकही सी लय बजती रही,
मैं उन स्पंदनों में उतरकर
तेरे हर जज़्बे को महसूस करता रहा।
तू कह न सका…
पर मैं सुनता रहा,
तेरे मन से मन तक
तेरे मौन को पढ़ता रहा।-
अफ़सोस इस बात का है...
कि मैंने तुझे हर बार दिल से चाहा,
और तू हर बार बेपरवाह निकली...
,
कि तेरी ख़ुशी में अपनी मुस्कान ढूँढता रहा,
पर तू मेरी आंखों का दर्द कभी पढ़ न सकी...
अफ़सोस इस बात का है,
तेरे एक "कैसे हो?" के लिए तरसता रहा,
और तू किसी और की बाहों में सुकून ढूँढती रही...
अफ़सोस इस बात का नहीं कि तू मेरी न हो सकी,
अफ़सोस तो इस बात का है...
कि तुझे कभी ये महसूस ही नहीं हुआ
कि कोई था... जो तुझसे बेशुमार मोहब्बत करता था।-
थक गया हूँ मुस्कराते हुए,
अब दर्द को भी थोड़ा सुकून चाहिए।
न शिकवा करो, न सवाल पूछो,
बस एक बार, गले लगा लो।
न कहो कि सब ठीक हो जाएगा,
न दो झूठी दिलासा की बातें।
बस अपने सीने से लगाकर,
मेरे टूटे हिस्सों को समेट लो।
मैं बिखर जाऊँ तो संभाल लेना,
तेरे आलिंगन में ही मेरा घर है,
यही वजूद है मेरा,
तुम यह जान लेना...-
धीरे-धीरे बिखर रही है रौशनी,
जैसे भीतर कोई उम्मीद सी जागी हो।
थकी थकी सी साँसों में अब,
फिर से ज़िन्दगी की बात चली हो।
मन की कली खिलती देखो,
कोई दुआ असर सी कर गई है,
भीतर का सन्नाटा भी अब,
कोई मीठी साज़ बन गई है।
वो जो कल तक चुप था मन,
आज कुछ कहने को तैयार है,
शायद खुद से ही मिल रहा हूँ मैं,
ये सुबह कुछ खास उपहार है।-