Kartik Narayan   (कार्तिक देव)
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Joined 5 March 2019


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11 JAN AT 23:13

मैं शिद्दत से अपनी कहानी बुना था,
उस कहानी की रानी तुझे चुना था..
तेरी जुल्फों की ख़ुशबू में एक नशा था,
तू जो कहे, तेरी हर बात सुना था..
लेक़िन प्रपंच भरा था चरित्र तेरा,
दिखा कर अपना असली चेहरा..
रचा षड़यंत्र, दिया सितम,
मेरी शिद्दत प्रेम कहानी को,
चुटकी में किया खत्म..

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9 JAN AT 23:57

कैसी है हया, कैसी खता है,
दिल टूट गया मलाल से..
चेहरें छीपा कर नज़रअंदाज़ किया,
मेरे ही दिए हुए रुमाल से..

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8 JAN AT 14:40

,
वो हर किसी के पीछे भागे..
मज़िल मिलेंगी वक़्त लगेगा,
निरंतर बढ़ एक राह में आगे..

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7 JAN AT 23:18

सर्द हवा ज़ब तन के हिस्से यूँ छू जाती है,
सुकून भरी तेरी यादें तपिश मुझे दे जाती है..
तेरा मुझे सीने से लगाना, वो पल बेहद ख़ास है,
ठिठुरन भरी रातों में जैसे कोई अलाव पास है..
काश इस सर्द रात में, तुम पास मेरे आ जाती,
सिसकियों की गर्माहट में तुम कहीं खो जाती..
फिर सर्द भरी इस रात में बस प्यार की होती बातें,
एक कम्बल में रहते दोनों, धीरे-धीरे कटती ये रातें...

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6 JAN AT 19:07

हाल ए दर्द छुपाने को कभी-कभी मुस्कुरा लेता हूँ मैं,
कम्बख्त ये आँखें मेरी सब राज़ बयां कर देती है..

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6 JAN AT 9:43

बीच फंसे भंवर में ज़ब भी घना कोहरा छाया है,
आशा की एक किरण नई राह हमें दिखाया है..

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31 DEC 2024 AT 12:57

नज़रो से कुछ चेहरें दूर हो गए,
कुछ यादों का हिस्सा बन रहा है..
मन का पंछी कुछ ख्वाब लिए,
नीत गगन में फुदक रहा है..
जीवन का उद्देश्य ना समझा,
ज़िन्दगी यूँ ही फ़िसल रहा है..
वक़्त की कीमत उनसे पूछो,
जो दर-दर कहीं भटक रहा है..
मिलना है मिट्टी में एक दिन,
किस बात पर अकड़ रहा है..
प्रसार हो रहा है ब्रह्मांड सारा,
जीवन सबका सिमट रहा है..
मनुष्य के प्रकृति वही रहेगी,
चेहरें पर चेहरा बदल रहा है..
दिन, महीने, लोग वही रहेंगे,
बस साल दर साल बदल रहा है..

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26 OCT 2024 AT 23:37

ज़िन्दगी लगी है मुझको बर्बाद करने में,
निष्फल इस जीवन में कैसे कोई रह पाए..
हर साल गुज़रता है, ख़ुद को तरासने में,
अब एक और साल ना हो, भले हम ना रह पाए..

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8 OCT 2024 AT 14:45

माँ
तुम शक्ति की दिव्य रूप हो,
शिव का आधा भाग तुम ही हो,
शून्य से लेकर अंतकाल तक,
हर समय विद्यमान तुम ही हो..
प्रेम की अमृत बरसाने वाली,
मातृशक्ति का रूप तुम ही हो,
अँधियारों में राह दिखाए,
माँ तेजपुंज सा दीप तुम ही हो..

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4 OCT 2024 AT 12:46

ममतामय माँ तेरी मूरत,
तुम करुणा बरसाने वाली हो,
धरती सी सहनशील हो,
भक्तों की करती रखवाली हो..
इस सृष्टि की बीज तुम ही हो,
तुम ज्वाला सी अग्निशाली हो,
दैत्य-पापियों का संहार करो माँ,
तुम जग रक्षक महाकाली हो..

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