Karn Bhushan Singh   (Karn Vir Yadav)
9 Followers · 8 Following

Joined 29 June 2020


Joined 29 June 2020
29 JUN 2020 AT 0:47

नाम कर्ण काम कर्म
निभाता हु मैं हर धर्म
शिष्य धर्म , मित्र धर्म या फिर हो पुत्र धर्म

अपमान को बर्दाश्त किया
मेहनत किया , संघर्ष किया
अपने सामर्थ्य से आलोचकों को जवाब दिया
अपने सामर्थ्य से खुद को मैने साबित किया।

-


26 MAY 2021 AT 23:52

जब देखता हूं उसको तो अनदेखा करती है
जब मिलाता हूं नज़रे तो नजरअंदाज करती है
कोई बता दे उसको ये राज़ जरा ।
कि मेरा इंतजार कोई और भी करती है।

-


6 MAY 2021 AT 1:41

ये क्या हो गया है सबको सब लोग इतने चुप चुप क्यों है
ऐसी क्या खता कर दी मैंने सब लोग मुझसे खफा क्यों है।
पहले महबूब, फिर दोस्त , फिर रिश्तेदार और अब परिवार सबने मुझे तन्हा छोड़ा क्यों है।
मैंने तो दिलों जान से सिर्फ अपने सपनो को पीछा किया है
इतनी छोटी सी बात पर मुझसे बोलना छोड़ा क्यों है
जब मै सबकी ख्वाइश पूरी करता था तो सब मुझसे खुश थे । और आज जब में अपने सपनो को पूरा कर रहा हूं तो सबको मुझसे तकलीफ क्यों है।

-


23 FEB 2021 AT 15:08

आज जमाने ने कह दिया कि मैं किसी लायक नहीं।
मैंने भी कह दिया कि मैं हर किसी के लायक नहीं।
बड़े ही ख़ामोशी से अपने हर अपमानो को संभाल रखा है मैंने ।
एक दिन समय बताएगा कि मैं किस चीज के लायक नहीं।
आज लोग गालियां दे रहे है मेरे काम को।
अब बस कुछ समय इंतेज़ार का और बाकी है।
पूरा जहां करेगा मेरे इसी काम को।

-


23 FEB 2021 AT 14:45

आखिर उसने कह दिया कि तू मेरे लायक नहीं ।
मैंने भी कह दिया कि हा तेरे लायक नहीं।
बड़े ही खामोशी से अपने हर अपमान को संभाल रखा है मैंने ।
एक दिन पता चलेगा तुझको कि कौन किसके लायक नहीं।
एक समय मोहब्बत थी उस मेरे नाम से ।
अब उसे नफरत है मेरे नाम से
अब बस कुछ घड़ी इंतेज़ार का और बाकी है
एक दिन सारा जहां जानेगा मुझे इसी नाम से।

-


13 DEC 2020 AT 21:34

I only need someone
Who understand me
Who listen me
Who correct me when I go wrong
Who support me in my goal
Who accept me with my bad habit

-


13 DEC 2020 AT 21:07

अलग प्रांत और अलग संप्रदाय के लोग यहां आते है । पर एक वर्दी , एक ही बैच लगाकर एक जैसे दिखते है
विभिन्न भाषा और विभिन्न संस्कृति के लोग यहां आते है
पर सार्वजनिक रूप से एक ही भाषा हिन्दी भाषा का प्रयोग करते है ।
अलग जाती और अलग धर्म के लोग यहां आते है ।
पर प्राथना घर में एक साथ बैठकर ईश्वर को नमन करते हैं।
अलग संस्कार और अलग मान्यता के लोग यहां आते है
पर हर त्योहार होली , दीवाली , दशहरा, छठ , क्रिसमस, इस्टर, बैसाखी और ईद एक साथ मिलजुल कर मानते हैं
अलग सोच और अलग रंग के जवान यहां आते है । पर एक ही नारा उद्घोष कर के दुश्मन पर टूट पड़ते है और विजय हासिल करते है।

-


31 JUL 2020 AT 1:40

अब जरूरत नहीं ख्वाब पूरे करूँगा ।
अब अपनो के लिए नही सपनो के लिए जियूँगा ।
और हमेशा मेरी तौहीन करने वालो
मैं तुम्हारा एक एक हिसाब पूरा करूंगा।
मैं त्याग और तपस्या करूँगा ।
मैं नौकर नही मालिक बनूँगा ।
और हमेशा घमंड में चूर रहने वालों
मैं तुम्हारा घमंड चूर चूर करूँगा

-


31 JUL 2020 AT 1:22

जरूरते तो पूरे हो गए ।
पर मेरे ख्वाब अधूरे रह गए ।
अपनो का हमेशा साथ दिया
पर सपनों से नाता टूट गया ।
अपनों के सपने तो पूरे हो गए ।
पर खुद के ख्वाब अधूरे रह गए ।

-


4 JUL 2020 AT 18:44

ये आने वाला पल बहुत मजेदार होने वाला है
ऐसा लग रहा है जैसे प्यार होने वाला है
तुझे याद कर के मैं मचल उठता हु
क्यों कि ये सीलसिला पहली बार होने वाला है
तेरी एक झलक से मैं चहक जाता हूं
तेरी मौजूदगी दिल को राहत देने वाला है
आज तूने मेरी आँखों मे देखा ।
ऐसा लग रहा है , मोहब्त सफल होने वाला है

-


Fetching Karn Bhushan Singh Quotes