उस दौर में
ज़ब मुझे तेरी सबसे ज़्यादा जरूरत थीं-
Karan Sharma
(नज़्म ए काफ़िर :-करन शर्मा)
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Activist
Joined 23 June 2020
8 MAY 2021 AT 9:33
एक नींद आँखों से टूट कर
कहीं गिर पड़ी थीं
ख़्वाबों का सहारा देकर
मैंने फिर उसे उठाया ||
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7 MAY 2021 AT 13:09
ज़रा वक़्त से डर तू जमाने
दो गज़ ज़मी भी नहीँ मिली थीं
बादशाह ए हिंद (ज़फर) को हिंदुस्तान मे ||-
6 MAY 2021 AT 10:09
ख़्वाबों के शहर मे
यादो क़ी कमी ना हो जाये
चलो एक और इबारत
प्यार क़ी हम लिखते है ||
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4 MAY 2021 AT 11:34
अब वो दूर है इतना क़ी उनकी याद भी नहीं आती है
हिचकियो को भी झूठी तसल्ली देकर अब बुलाना पड़ता है
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3 MAY 2021 AT 10:15
एक ख़्वाब देख
तेरे सिरहाने के पास पड़ा है
रात हो गई है
ज़रा उसे अपनी आँखों मे जगह दे दो ||-