ज़रा देर कर दी तुमने
अब मुझसे मुहब्बत न होगी
वो क्या है न जितनी भी मुहब्बत मुझमें थी
वो किसी बेगैरत पर खर्च कर दी गयी है l-
whatsapp....no. - 8847235698.
insta - thepoetic_karan
दोस्तों को छोड़ के नए दोस्त ढूंढने निकले हो तुम
वाह यार बड़े निकम्मे हो तुम-
मिरे खूं से लिखे अल्फ़ाज़ों को तुम स्याही समझते हो ,
वो जो आँखों में आब-ऐ-चश्मों को लिये गुस्से में मै पकड़ लेता हूँ हाथ तुम्हारा
बस वही महसूस होता है मुझे तुम्हारे लिए
और तुम उसे भी मेरी चालशजी समझते हो l-
अकेला हूँ पर सुकून मे हूँ
तेरे साथ तो नहीं
पर जूनून मे हूँ
खूनों-खून हुआ पड़ा है लिबाज़ मेरा
फिर भी मेरी नज़रों मे मै कुछ तो हूँ
तेरे लिए तो फ़िज़ूल मे हूँ-
जाने अब कैसे तुझे पाने की दुआ करुँ मै
ख़ुदा से तेरी हज़ारों मुद्दतें तो करता हूँ
अब क्या मस्जिदों में ही रहा करुँ मै ?
ओ जाना इतना सब काफी तो होगा न
या तुझे ही खुदा करुँ मै ?-
रहगुज़र हो तुम
तो मुसाफिर हूँ मै
मेरे मुल्क की मल्लिका हो तुम
तो मुहाफ़िज़ हूँ मै
तुम किसी और की मुहब्बत हो
तो रकीब हूँ मै
तुमसे मुहब्बत करना जो ज़ुर्म है
तो काफिर हूँ मै
रहगुज़र हो तुम
तो मुसाफिर हूँ मै-
के सलामत हो तुम
तो सलामत हूँ मै
तुमसे प्यार न करने की हुक्मरानी लगाओगे
तो बगावत हूँ मै
जो मुहब्बत ये किसी जंग सी हुई
तो शहादत हूँ मै
दास्तां-ऐ-मुहब्बत हो तुम
तो कहावत हूँ मै
के सलामत हो तुम
तो सलामत हूँ मै...-
खूँ से रंग दिए जायेंगे सभी दियार
तो मुहब्बत के मौसिक़ी कौन सुनाएगा
हथियारों से बात होगी समझौते की
क़लम लिए मुसन्निफ़ तो बस यूहीं रौंदा जायेगा
शांत मगर बेरंग सी हो जाएगी ये वादी-ऐ-गुलफ़ाम
और पिंजरों में कैद सा हर लफ्ज़ बस फड़फड़ाता रह जायेगा
शमशानों में भी भीड़ कम होंगीं
जब सीने में टुकड़ों सा दिल लिए किसी शायर को दफनाया जायेगा l-
सबसे प्यारा माँ का आँचल
मन को भावुक माँ का आँचल
इस ठिठुरती ठंढ में भी
गर्म रजाई सा माँ का आँचल
गर्मी मे जो पसीने से भीग जाऊँ
या पतझड़ के मौसम की तरह
सूखे पत्तों सा शाखों से टूट जाऊँ
तब इक पर्दा सा पड़ता है मुझपर
मनो जैसे बसंत ऋतू
कुछ ऐसा है माँ का आँचल-
दूसरों के अल्फ़ाज़ों को क्या लिखूंगा
ख़ुद के अल्फ़ाज़ों में उलझा हूँ मै
तू आज साथ छोड़ गयी तो क्या
जन्मों भर तेरी ख़ूबसूरती को पन्नों पे बयां करता रहूँगा मै l-