ख़ैर,‘ इश्क़‘ के नजरिये से देखो तो हम ‘ शिकस्ता‘ ज़रुर हैं
नास्तिक हैं हम पर, नज़र में लोगों की हम तेरे ‘परस्तार‘ ज़रुर हैं
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यह कहना थोड़ा आसान होगा,
‘में तुमसे बहुत प्यार करता हूं‘
पर ये कहना उससे भी मुश्किल है,
कि,‘ ख़ुद से भी ज्यादा करता हूं‘-
તારી વફાદારી ની વાત માં મેં હા એમ જ ભરી છે
ખબર છે અંતમાં દગો જ મળશે
તોય સંબંધ માં દુનિયા આમ જ મરી છે
વાયદા વચનો ની આ જૂઠી પ્રણાલી માં
ખરેખર તો તને તારી ને મને મારી જ પડી છે-
मोहताज कहां है कोइ जिंदगी का
जिंदा रहने के लिये
जिंदा तो वो मुर्दे भी हैं,
जो क़ब्र मे लेटे हुए भी यादें संजोया करते हैं-
‘मुहब्बत‘ के मायने कुछ इस कदर बदल गये हैं आज-कल
मुलाक़ात में वादें होते हैं दो रूहों को साथ जोड़ने के,
और शुरुआत जिस्म से होती है-
में नहीं जानता ये तमाशा मेरी जिंदगी का और कितना वक़्त लगायेगा
पर, इतना मालूम है कि वो शख़्स,हाल पूछने मेरे जनाजे पे ही आयेगा-
न जानें क्यों मेरी रूह का मुझसे ही कोइ टकराव सा है
उम्रभर खाये जख्मों का जैसे पलकों पर आंसुओं के ठहराव सा है-
ये कुछ किताबों से इतना कैसे पढ़ कर आ जाते हो,कि
अब तुम भी कवर जैसे ‘चेहरा‘ देख कर दिल में मुहब्बत लाते हो-
एक मंजिल , दो रास्ते
दोनों ही मेरे लिये ख़ास थे
पहचान कम पर दोस्त तो बहुत थे
उसमे दूर बहुत कम मेरे पास थे
न कोइ गिला शिकवा था पर
पता नहीं बेवजह ही दूर मुझसे भागते
में समझता रहा शायद कुछ गलती हमसे हुइ हो
पर नहीं दोस्त,गलत तो मेरे साथ ही हो रहा था
दोस्त के नाम पर में कुछ ज़हरीले सांप पाल रहा था
अब सामना भी कभी होगा मेरा उनकी जहरीली सोच से
तो आइना दिखा दुंगा में ज़हर के बदले ज़हर सोच के-
शिद्दत से इतनी ये मुहब्बत जो निभायी
की मिला भी तो क्या, ज़माने से ताने और तेरी और से तनहाइ-