Karan Paruthi  
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Joined 30 April 2019


Joined 30 April 2019
23 APR 2021 AT 4:01

वक़्त हर इंसान को उसकी जगह दिखा ही देता है
हर कोई एक दिन दर्द को मुस्कान के पीछे छिपा लेता है
परेशानियों का दर्या तो हमेशा बहता ही रहता है
लेकिन नाव की तरह इंसान भी उसमें चलता रहता है
माफ़ी मांगने वाला कभी छोटा नहीं होता
माफ़ करने वाला भी हमेशा बड़ा नहीं होता
जो खुद से आगे बढ़कर दूसरों का सोचे
अंत में उसका भला ही होता है
समय रहते समझ लेना चाहिए क्या ठीक है और क्या गलत
गलतियां सुधारने का मौका हमेशा नहीं मिल पाता
नक़ाब के पीछे सच हमेशा नहीं छिप पाता - Karan Paruthi






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23 JAN 2020 AT 13:58

मायूसी है ये या है बेचैनी या है अजीब सी ये एक आहट
डर लग रहा है खो जाने का या असल में खुद को ढूँढ़ पाने का
यहा हो कर भी यहा नहीं हूँ, जहा होना चाहता हूँ वहा भी नहीं हूँ
अजीब सी है ये बेचैनी, रोशनी में भी धूआ छा रहा है
जमा हुई भीड़ में भी कोई नज़र नहीं आ रहा है
दर्द में भी ये चेहरा मुस्करा रहा है, वाकई बड़ा मज़ा आ रहा है
ज़मीन बंजर है, हर ओर सूखा है फिर भी दर्या बहता नज़र आ रहा है ,ज़िंदगी मदारी की तरह हर लम्हे का खेल दिखा रही है, इस बेचैनी में ज़र्रा ज़र्रा गुम करा रही है -Karan Paruthi

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14 DEC 2019 AT 1:32

कभी गुनेहगार तो कभी बेकसूर होता है
कभी हस्ता है तो कभी रोता भी है
असली मर्द वो है जिसे दर्द होता है
बिना किसी खामियों के कोई सफल नहीं होता
जो हर भावना व्यक्त करे वो असली मर्द होता है
अपने दर्द को छुपाना बहुत आसान होता है
लेकिन हर दुःख बाटना उतना ही मुश्किल
मन में बहुत से ख्याल आते है
हर ख्याल में एक अलग सी बेचैनी होती है
बात कर उस मायूसी को दूर करके देखो
अरे लोगो का तो काम है बोलना
कभी उस बंद दरवाजे़ को खोलना
क्युंकि असली मर्द को दर्द होता है
और दर्द होने पर वही मर्द रोता है - Karan Paruthi

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30 NOV 2019 AT 1:41

It started getting ugly but it was the best thing once.
Letting it go is the right thing to do but holding it had been the best thing.
Making an effort now is worthless but every effort had a value once.
Growing old alone is in sight now but having someone's silhouette along is in hindsight.
I am trying to recover but those memories are holding me back.
I want to go back but doing that all again is going to bring pain.
I can't sleep now but I didn't want to sleep earlier.
I want to move ahead but my feet are stuck.
I am going crazy but I loved being nincompoop once.
I can't let it go because I have been firm for so long. -Karan Paruthi


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27 NOV 2019 AT 4:22

साँसें चल रही हैं पर जान जा रही है
बेखयालि में भी बस तुम्हरी याद आ रही है
दर्द हो रहा है लेकिन महसूस नहीं कर पा रहा हूँ
जाना चाहकर भी बस यही ठहर जा रहा हूँ
जीने के लिए कोई सहारा नज़र नहीं आ रहा
आँखों को बहने के लिए कोई फव्वारा नहीं मिल पा रहा
अरे अब तो सोने से भी डर लगता है
क्यूंकि ये कम्बख्त दिल सपनो में भी बस तुम्हारे लिए ही धड़कता है
जाना था तो चले गए काश एक बार यही सोच लिया होता कि बिना दीवारों के इस छत का क्या होगा
- Karan Paruthi



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9 NOV 2019 AT 23:39

मन में है एक बेखयालि, दिल में नहीं है सुकून
दर्या बह रहा है लेकिन पानी की झंझनाहट में नहीं है जुनून, याद आ रहा है बस वही समय जो लौटके नहीं आ सकता, दर दर ठोकरे खा कर भी कोई इस दिल को बहला नहीं सकता
चाहत अधूरी रह गई लेकिन मलाल है इस कड़वाहट का जो बिना चेतावनी के धुँधला कर गई आसमान को, तारों की रोशनी तले अंधा कर गई इस जहाँ को, लेकिन जो हुआ वो हुआ है सही, बस यही तसल्ली दे कर आग भुज रही है लेकिन अंगारों तले ज़िंदगी जल रही है,
बस एक झलक देखने की फरियाद में बची हुई ज़िंदगी कट रही है
-Karan Paruthi

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28 OCT 2019 AT 20:58

क्यूँ है तु परेशान? क्यूँ लगता है ये जग सूना ?
कर एक बार यकीन, एक मुस्कुराहट के लिए करू हज़ार बार जान कुर्बान
नहीं ला सकता तारे तोड़कर, लेकिन उन तारों की रोशनी तले बन सकता हूँ तेरे हर डर के आगे पहरेदार
कर एक बार भरोसा जीवन भर के लिए हूँ मैं तेरे साथ
मैं नहीं जानता कि खरा उतर पाऊंगा हर वायदे पर या नहीं
लेकिन दिला सकता हूँ यकीन कि लगा दूँगा अपनी जी जान
बस एक ही चीज़ चाहता हूँ बदले में,वो चीज़ है तेरी मुस्कान
ज़िंदगी के हर अंधेरे में थामके तेरा हाथ ,उजाले की ओर जाना चाहता है ये तेरा दोस्त तेरे साथ

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11 OCT 2019 AT 18:06

मन में ख्वाब लिए, सपनो का एहसास लिए चला आ रहा हूँ
ज़िंदगी की कशमकश में, धूप में रैना की चाँदनी का एहसाह लिए चला आ रहा हूँ
कुछ कर जाने की चाह में समय व्यतीत करता आ रहा हूँ
या फिर बिना परिश्रम के व्यर्थ में ही टीले को चट्टान बनाता आ रहा हूँ
खुली आखें लिए, चौकन्ना हुए सोता चला आ रहा हूँ
क्या यह दिशा सही है जहाँ से मैं आ रहा हूँ या जिस ओर मैं जा रहा हूँ
इस सफ़र के हर लम्हे को यादगार बनाना है, ये सफ़र ही है जिसने मंज़िल तक पहुंचाना है -Karan Paruthi

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9 OCT 2019 AT 3:58

रावण जलाने चले थे लेकिन राम को ही छोड़ आए
अपने अंदर के रावण पे ही काबु न कर पाए
मिथ्या है या फिर है यह सच इसी कशमकश में
अपने अंदर के राम को पीछे छोड़ आए
आगे बढ़ने की जल्दी में कौनसा रास्ता तय कर आए
जब कश्ती डूबते दिखी तब दौड़ लगाते हुए आए, जब समुन्द्र की लहरें आसमान छू गई तब पेड़ लगाने आए
आना था तब जब ज़मीन पे तारे थे आए, जब बिना पुकारे लोग मदद के लिए थे आए, जब इस नास्तिक को भी किसी कक्षा में राम का पाठ पढ़ते देख स्वयं नारायण थे मुस्कुराए, जब इस धरती में थे अनेक आरे, नहीं जरूरत थी तब किसी बच्चे को ज़माने को रुकने की ललकार लगाने की, इस धरती को फिरसे हरा बनाने की - Karan Paruthi

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11 JUN 2019 AT 0:51

अच्छा लगा था वो समय जब की थी बातें
इतना बुरा भी नहीं था वो समय कुछ तो है यादें
अंत तो हर चीज़ का होता है तो होना था इसका भी
लेकिन गम यह है कि ठीक से नहीं कह पाए अलविदा
सोचा जो गलती की है मांगले उसकी माफी
इससे पहले की हो जाए हम गुमशुदा
जीवन में सदा खुश रहना बस यही है दुआ
बस यही विनती है की माफ करना रहना न हमसे खफा
शुभचिंतक रहेंगे हमेशा कभी पड़े कोई जरूरत तो याद कर लेना एक दफा
और कहने को कुछ रहा नहीं तो कह रहे है अलविदा

- Karan Paruthi

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