क्या होती है यादें, क्यूं आती है यादें....
लोग आते है चले जाते है, जो रह जाती है वो हैं यादें
बदलेगा मौसम ये सारा आलम....
जो ना बदलेगी वो हैं यादें-
जो हूं मैं तन्हा यहां मेरे बिना तू भी वहां अधूरा होगा.....
पर ये जो फांसला है तेरे मेरे दर्मियां ये चांद है फलक का,
चाहे आज अधूरा है कल जरूर पूरा होगा।-
मिलने को तुझसे बस अब कुछ ही दिनों का इंतजार है,
पर फिर भी ना जाने क्यों हर पल ये दिल बेकरार है....
प्यार अपना तुझको ज़ाहिर किए यूं तो महीनों गुजर चुके,
पर लगता है जैसे अब होने वाला मेरे इश्क का इजहार है....-
यूं तो वक़्त हुआ ही कितना है तुमसे बात हुए,
पर लगता है तुमसे प्यार हुए इक अरसा हो गया...
फिर भी हर रोज़ नया सा लगता है ये प्यार का एहसास तेरा,
मिले चाहे अब तक नहीं पर बरसों सा लगता है ये साथ तेरा....
आंखों को अब नींद से ज़्यादा सपने तेरे प्यारे है,
जन्नत है वो हर लम्हा जिसमें तुम मेरे और हम तुम्हारे है...
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नींद भरी है आंखों में पर ख्वाब मेरे जागते है,
भूख है पेट की पर पैर मेरे भागते है....
तमाशा रोज़ लगता है बाज़ार मे
मुश्किल में पड़ा है मदारी,
लोग रोज़ नया खेल मांगते है।
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Naa ho jarurat kasmo waadon ki manjuri ki...
Kahani teri meri puri kuch yun ho adhuri si..-