सब-कुछ ख़त्म हो...
जाने के बाद भी,
अंत में बचा रहेगा
प्रेम!
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सुनो एक बात
बता देना चाहता हूं....
मैं तुम्हें वैसा तो
सोच भी नही सकता...था कभी..
जैसी की सच मे तुम हो..
इतनी खूबसूरती तो मेरे ख्यालों
में भी नही है.....💐☺️-
नज़र ने ,नज़र को ,नज़र भर कर देखा तो...
नज़र को, नज़र की.....नज़र लग गई.....💜💜💝💖-
कह देना चाहिए..
एक दूसरे से सब..
दुःख...
घुटन...
और दिल का खालीपन भी...
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कुछ गाने, दिल और दिमाग पर ,ऐसे छा जाते है.....
जैसे मानो,
वो गाने हमारी सिचुएशन को पूरी तरह से डिफाइंन कर रहे हो.....
कुछ गाने ऐसे होते है....
जो दिल चाहता, है कभी ख़त्म ही ना हो....
और हमेशा डर लगा रहता है, उनके खत्म होने का....
और कुछ गाने ऐसे भी होते है.....
जो एक बार , होंठो पर चढ़ जाए..
भाई साहब ,उतरने का नाम ही नही लेते....
और कुछ तो ऐसे भी गाने होते है....
जो जहन में धुंधली सी धुन होती है....
पर बोल छू मनंतर हो जाते है....-
ठोड़ी पर उनका काला तिल,और उस पर ,
उनका मुस्काना अच्छा लगता है....
यूँ हँस हंस के की, मुझ से बाते ,
मुझे उनका ग़म छुपाना अच्छा लगता है...
माथे पर रची उनके काली टिकली, और उस पर
,उनका इठलाकर ,इतराना अच्छा लगता है...
चेहरे पर आती हुई उनकी,नागिन सी लटे ,उनका उंगलियो से.....
कानों के पीछे दबाना अच्छा लगता है...
लोगों ने की तारीफें बहुत ,उनके सजने , सवरने पर...
मुझे उनका पहना सादा पतियाला जामा,
अच्छा लगता है..
सबके रहने पर ,चुप हो जाना उनका ..
अकेले में, उनका आँखों से आँखे मिलाना अच्छा लगता है..
सुखी ज़मी सी थी,मेरी ये ज़िन्दगी
उनका यूँ , बे मौसम सा,
बरस जाना अच्छा लगता है....
सुन कर मेरी कविता ,
और ये.. पूछना किस के लिए है...
और जवाब का ख़ुद मुझ पर, सवाल उठाना अच्छा लगता है...-
ना मैं राम बनूँगा, ना तुम मेरी मर्यादा बनना,
ना मैं श्याम बनूँगा, ना तुम मेरी राधा बनना..
मैं जब भी ,अधूरा बनूँगा....
तुम मुझमें मिलकर, पूरी बनना!-
जो "झुमके" लौहे की रैक पर टँगे...
मुझे बिल्कुल भी, अच्छे नही लग रहे थे,
और वही "झुमके" मुझे...
उनके, कानों में लटकते हुए... सबसे खूबसूरत "गहने" लगे.....😍🌚-
उन्होंने मुझ से...
प्रेम का पर्यावाची पूछा.....
और
मैंने "मीरा" का नाम लिख दिया....♥️🥂
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