Kapil Sharma   (Mr Shayar)
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Hakuna Matata

From Jaipur

Second place I found 127.0.0.1
Joined 29 August 2017


Hakuna Matata

From Jaipur

Second place I found 127.0.0.1
Joined 29 August 2017
4 JUL AT 23:16

मैं तुम्हे आज भी याद करता हूँ
क्या मैं तुम्हे आज भी याद करता हूँ?
हाँ...
बस जब सूरज निकलता है
नरम किरणें मुझे जब छूती हैं
तब एक एहसास तुम्हारा होता है
और मैं याद तुम्हें करता हूँ।

जब गर्म चाय की भाप चेहरे पर लगती है
लगता है जैसे तुम्हारी साँसें मेरी साँसों को महका रही हों
और मैं याद तुम्हारी करता हूँ।

जब पुराने गीत बजते हैं रेडियो पर
वो लफ़्ज़, वो धुन, बस तुम्हें ही बयान करते हैं
मैं सुनता हूँ… और फिर से जीता हूँ वो लम्हें
और मैं याद तुम्हें करता हूँ।

जब बारिश की पहली बूँदें ज़मीन को छूती हैं
उस मिट्टी की खुशबू में तुम्हारी मुस्कान छुपी होती है
मैं आँखें बंद करता हूँ… और महसूस करता हूँ तुम्हें
और मैं याद तुम्हें करता हूँ।

जब अकेला बैठा होता हूँ भीड़ में कहीं
तब भी तुम्हारी आवाज़ गूंजती है ज़ेहन में
एक ख़ामोशी में भी तुम बोलती हो मुझसे
और मैं याद तुम्हें करता हूँ।

तुम अब पास नहीं हो, ये सच है
पर यादों में, एहसासों में, साँसों में...
तुम अब भी कहीं हो —
और मैं, हर रोज़, हर पल "शायर"
तुम्हें याद करता हूँ।

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28 OCT 2023 AT 9:34

राह मैं ठहरना भी जरूरी था
सफर का अधूरा रहना भी जरूरी था

मंजिल मिल जाती तो थम जाता मैं
राहगीर का चलना भी जरूरी था

जब निकले थे घर से माँ की आंख मैं नमी थी कुछ
क्या घर से निकलना भी जरूरी था

तुम मिले थे सफर मैं हमसफर की तरह
मैं जानता था एक मोड़ पर बिछड़ना भी जरूरी था

शाम लौट आयी, रात लौट आयी, लौट कर आ गए थे सारे मौसम
मेरा भी मेरी जडों तक लौटना भी जरूरी था

चंद अल्फाज लिए बैठा रहा एक उम्र "शायर"
कुछ कहानियों का मुकमल होना भी जरूरी था

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19 DEC 2022 AT 22:30

हर गुजरते लम्हें ने सिखाई है हमें इश्क़ की कीमत
ये जो हौशला आज है पहले होता तो ये हालत न होती
"शायर"

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20 MAY 2022 AT 8:55

रात की देहलीज पर कदम रखा तो
तन्हाई ने पनाह दी

शब थी शराब थी
कुछ तेरी यादों ने हवा दी

तन्हाई मैं बैठे देखे मुझे ख़ामोशी भी आ गयी
चंद बिसरे हुए किस्सों की उसने लॉ जला दी

तेरी याद तेरी बात मे उलझे ही हुए थे अब तलक
फलक ने तेरी सूरत भी बना दी

एक सिगरेट जलाई की तलाश सकूं वजूद को अपने
एक तेरे सी आहट हुई और वो भी बुझा दी

अब न तू है हक़ीक़त मैं न इश्क़ न जूनून "शायर"
फिर क्यों इस दिल ने इस दिल को सज़ा दी

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28 SEP 2021 AT 10:18

सुकूँ मिले किसी को तो खबर करना "शायर"
एक मुद्दत से तलाश मे हूँ मैं||

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20 AUG 2021 AT 10:28

हर रोज होती है
मगर इन बिजलियों का भी कुछ इलाज़ हो!!

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20 AUG 2021 AT 10:16

अब किसी से ज्यादा बात नही होती
मैं चुपचाप सबको सुनता जाता हूँ

अब खत्म हो गए झगड़े अपने
मैं हर बात पर माफी मांगता हूँ

अब भूलने की आदत नही रही
कुछ भूल भी जाऊं याद दिला दिया जाता हूँ

बेशक ताउम्र के सबक सिखाती है जिंदगी
मैं भी नए हुनर सीखता जाता हूँ

मैं अब नाराजगी जाहिर नही करता
अपने आप मैं ही घुलता जाता हूँ

बैठ जाता हूँ शब मैं खामोश "शायर"
खामोशी को सुनता जाता हूँ

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26 SEP 2020 AT 20:57

गुमराह सा गुजर जाता हूँ नए रास्तों से मैं
एक तू है एक मंजिल है कि दिखाई नही देती

हर एक लम्हा है मुख़्तसर सा पहलू मै तेरे
फिर भी ये जिंदगी क्यों दिखाई नही देती

कमी तुझमें है या इश्क़ मैं मेरे
पहले सी कोई सूरत दिखाई नही देती

अब कर लिया है समझौता हर लम्स से मैंने
की अब कोई छूबन पहले सी दिखाई नही देती

अब मांगू तुझसे इश्क़ झोली मैं अपनी
अपनी हैसियत मुझे इतनी गिरी दिखाई भी नही देती

"शायर"

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30 AUG 2020 AT 21:55

अभी तो बस चंद किस्से खत्म हुए है मेरे
अभी तो ना जाने कितनी कहानियों मैं मेरा किरदार बाकी है।।

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8 AUG 2020 AT 11:10

तुम ना समझोगे तो कोन समझेगा हमें "शायर"
यूँ तो लिखा है कई लोगो ने किताबों मैं हमें

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