Kapil Sharma   (नुक़्ता)
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Joined 31 December 2019


Joined 31 December 2019
13 AUG AT 13:59

pregnant with a million desires,
dense with chaos, hopes,
and doubts and mistrust
ready to pour all of me,
on a lonely dune of sand,
that awaits my burst
to turn her into
an oasis, she must!

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1 AUG AT 12:32

मैंने कहा,
"ठीक हूँ!"
मान लिया तुमने

हाय हमारे दरमियाँ,
कितने फासले रह गए!

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31 JUL AT 13:00

अगरचे हम तो
चाँद के ख्वाब को
बना कर बालियाँ
सजाते तुम्हारे
कानों की पंखुड़ियाँ

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28 JUL AT 9:35

And I find,
utterly alone,
one thought
that sobs,
quietly robs,
my lonely hope
to be happy
for a moment
atleast

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27 JUL AT 22:45

रार भर एक ही ख़्वाब
धुँधले तारे, जर्द महताब

ये कैसा मैकदा है साकी,
कड़वी जबाँ, फ़ीकी शराब

मेरे मन के भौरे को भाते
टूटे गुलदान, मुरझे गुलाब

क्या थे हौसले जवां दिल के,
काँपते है अब सोचकर जनाब

नुक़्ता तेरी क्या है धरोहर,
बिसरी नज़्मों की फटी किताब

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25 JUL AT 0:22

तुम हो, तो सब ठीक है
(ऋतु के लिए, 25 जुलाई)

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20 JUL AT 23:57

खफ़ा खफ़ा सी हर खुशी
रुआंसी पड़ी ज़िन्दगी
और तेरी ये बेरुखी

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20 JUL AT 15:14

and the warmth,
our breath blew,
raising mist,
mingling dew
it condensed
on the pane of window
remaining from
that passion grew,
slowly, till dawn

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19 JUL AT 11:33

अर्ध विक्षिप्त
क्षुब्द मन की
कपोल कथा
ये झूठा प्रेम
तुम्हारा "नुक़्ता"
और इससे जुड़ी
प्रत्येक व्यथा
उथली पीड़ा,
आर्त अभिनय
ढोंग करुणा
सब मोह माया,
सब जग मिथ्या

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16 JUL AT 20:12

तू दूर हो के पास हो,
पृथक हो के साथ हो
पथिक हो के राह हो
हर धड़कन, हर लम्हा
तेरे मेरे दरमियाँ
रहेगी नज़दीकियाँ

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