पांचाली के स्वयंबर में सभी ने अपनी योग्यता आजमाई थी लेकिन अर्जुन ने मछली की आंख का लक्ष्य केवल अपनी योग्यता आजमाने के लिए नहीं लगाया था। बल्कि अर्जुन अपना फैसला कर चुके थे की केवल एक ही मौका मिलेगा और उस मौके में मुझे अपना लक्ष्य साधना ही होगा। इसलिए अर्जुन बनिए। फैसला लेकर लक्ष्य साधकर आगे बढ़िए, सफलता जरूर मिलेगी।
सामान्य इंसान अपना धन दान करने से पहले सोचता है, रक्तदान करने से पहले भी सोचता है, लेकिन वक्तदान करने से पहले नहीं सोचता, इसीलिए वो हमेशा सामान्य ही रहता है।
जबकि अमीर मानसिकता का इंसान बहुत ज्यादा सोच समझकर वक्तदान करता है।