Kapil Kaushik   (Dr.Kapil Kaushik)
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शिक्षक,लेखक,समाजसेवी
Joined 12 February 2019


शिक्षक,लेखक,समाजसेवी
Joined 12 February 2019
7 AUG 2024 AT 9:46

आया तीज का त्यौहार

चूड़ी, बिंदी, काजल, पायल, किये सोलह श्रृंगार
मन भावन, रिमझिम सावन, आया तीज का त्योहार

बिजली चमके, मेघा बरसे, बागों में हरियाली आई
डाल-डाल पर झूले डले, चारों ओर खुशियाँ छाई
हाथों में मेहंदी लगाकर, अरमानो के थाल सजाकर
खड़ी ड्योढ़ी पर आस लगाए, कब आवें मेरे भरतार

चूड़ी, बिंदी, काजल, पायल, किये सोलह श्रृंगार
मन भावन, रिमझिम सावन, आया तीज का त्यौहार

गुजियाँ,सुहाली और घेवर,अंग-अंग सजे जेवर
तुम बिन गुमसुम,मुझे हँसाये सास,ननंद और देवर
बाट जोह रही तेरी साजन,घर आंगन दीप जलाकर
तेरे बिन सौतन सी लगे,सावन की हर फुहार

चूड़ी, बिंदी, काजल, पायल, किये सोलह श्रृंगार
मन भावन, रिमझिम सावन, आया तीज का त्यौहार

माँ पार्वती को मैं मनाऊं, भोले बाबा पर जल चढाऊँ
लंबी उमरिया हो तेरी साजन, हर पल ये अर्ज लगाऊं
सखियों संग नाचूँ गाऊं, घर आये मेरे प्राणाधार
लूँ जब भी जन्म इस दुनियां में, तू ही मिले हर बार

चूड़ी, बिंदी, काजल, पायल, किये सोलह श्रृंगार
मन भावन, रिमझिम सावन, आया तीज का त्यौहार

© कपिल कौशिक

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11 JAN 2023 AT 7:32

माना मन घायल है,
मत घायल होने देना आस को।
माना उम्मीदें टूटी है,
मत टूटने होने देना विश्वास को।
माना किस्मत चोटिल है,
मत चोटिल होने देना साहस को।
माना कदम छोटे है,
मत छोटा होने देना प्रयास को।
माना लक्ष्य बड़ा है,
मत बड़ा होने देना आकाश को।
© कपिल कौशिक

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28 AUG 2022 AT 18:44

"अर्धांगिनी"
मुझ पर एक उपकार हो तुम,
सच्चा सौम्य व्यवहार हो तुम,
मुश्किल वक्त में संबल दिया,
मेरे जीवन का उपहार हो तुम।

मेरी परमेश्वर......हे अन्नपूर्णा,
एक सुखद अहसास हो तुम,
छाई रहती हो छाया बनकर,
ऐसा उज्ज्वल आकाश हो तुम।

हे धर्मचारिणी,उपवास धारिणी,
सावित्री-सी संस्कारी हो तुम,
महका दे जो मन आंगन को,
'कौशिक' वो फुलवारी हो तुम।
© कपिल कौशिक

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10 JUL 2022 AT 13:06

मिलन की चाह क्या होती है,
पूछो इन बारिश की बूंदों से।
खुद टूटकर बिखर जाती है,
धरती से आलिंगन की चाह में।
© कपिल कौशिक

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20 JUN 2022 AT 15:44

ज़िद,जुनून,जज़्बात,ज़िम्मेदारी और जमीर रखता हूँ,
अधीर नही हुआ कभी,हौसला हरदम वीर रखता हूँ ।
© कपिल कौशिक

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14 JUN 2022 AT 8:56

:: रक्तांजलि ::
बूंद - बूंद लहू की, देती जीवनदान
रक्त अपना देकर, बचाओ किसी के प्राण
रक्त की न जाति है, रक्तदान न माने धर्म
शोणितदान मनुष्य का, सबसे बड़ा कर्म
मानवता की होगी, यह सबसे बड़ी पहचान
समय आने पर हर कोई, जब करेगा रक्तदान
रक्तदान से रोक लो, मृत्युतुल्य कष्ट
जीवन ज्योति जलती रहे, न हो कोई कुल नष्ट
धन्य-धन्य वो कुल है, करों उसका मान
'कौशिक' अजनबी के वास्ते, जो करता खूनदान
रक्त,शोणित,लहू,रुधिर या कहो खून
सबका रंग लाल है, बिन इसके जीवन सून
लहूदान कीजिये समय-समय पर आप
मन में आए पुण्यता, मिटे सब संताप
किसी अंजान को देकर, अपना मै लहू
रिश्ता सबसे खून का, सबको अपना कहूँ
रक्तदान एक यज्ञ है, मानवता के नाम
आहुति अनमोल है, लगे न कोई दाम
खून बिना नहीं जी सके, एक क्षण भी इंसान
रुधिर से अपने दीजिए, किसी प्राणदान
©डॉ कपिल कौशिक

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2 JUN 2022 AT 9:34

मैं दो जून की रोटी

कभी खून से लथपथ,कभी पसीने को गले लगाती हूँ,
मैं दो जून की रोटी,नित जानें कहाँ-कहाँ बिक जाती हूँ।

सहमी सिसकती लोकतंत्र के नारों में नज़र आती हूँ,
भूखी रातों में बिलखती कचरे के ढ़ेर पर पाई जाती हूँ।
नहीं थकने देती किसी को,दिनभर सबको भगाती हूँ,
निकल कागज़ से मिलूं सभी को बस इतना चाहती हूँ।

मैं दो जून की रोटी,नित जानें कहाँ-कहाँ बिक जाती हूँ,
कभी घाव बनती प्राणी का,कभी मरहम बन जाती हूँ।
© कपिल कौशिक

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11 MAY 2022 AT 6:54

सुन प्यासे कौवे की कहानी,
चिड़ियां भी हो गई सयानी,
सात चिड़ियों ने किया साथ,
बुझी प्यास और बन गई बात।
© कपिल कौशिक

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9 MAY 2022 AT 6:15

क्यों छोड़ देते है उन कपकपाते हाथों को
जिनकी ऊँगली पकड़कर हमने चलाना सीखा था

ये शहर है यहाँ दोस्ती के भी है अलग मायने
गाँव में तो दुश्मनी का भी अपना सलीक़ा था

कदम कदम पर इंसानियत का हो रहा है कत्ल
वो दौर गुजर गया जब हर रिश्ता पाकीज़ा था

आगे बढ़ने की कशमकश में सूली चढ़ रही है जवानियाँ
वो बचपन खो गया जब मस्ती ही वजीफ़ा था

© डॉ कपिल कौशिक

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4 MAY 2022 AT 7:15

अच्छे इंसान को दूसरा भी अच्छा दिखता है,
जो खुद हो सच्चा,उसे दूसरा भी सच्चा दिखता है।
साथ हो अपनो का,तो नही डगमगाते कदम,
खड़ा रहता है वो मकां भी जो कच्चा दिखता है।
©कपिल कौशिक

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