kapil_kant_ sharma_poet   (Kapil Kant Sharma Poet)
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Joined 28 January 2023


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Joined 28 January 2023

तुम राम नहीं तों सीता ढूढ़ते क्यूं हो
इस जमाने में राधा किसी को बोलते क्यूं हो
यहां गोपियों और कान्हा सा रिश्ता अब कहाँ है
पता नहीं फिर भी इन रिश्तों को प्रेम बोलते क्यूं हो.❤️🙏

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24 APR AT 11:58

मेरे हालात का अंदाजा
इस बात से लगा लेना कि
मैंने वो रस्सी भी खून्टी पर टागी है
जों पंखे पर टांगनी थी

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22 APR AT 11:27

जाना कैसे तुम्हे अपना माना जाये
जब कह कर ही समय मांगा जाये
कुछ खास नहीं हम तों बताया जाये
यूं बात-बात पर हमें सताया ना जाये

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16 APR AT 15:54

हम एक दिन जरूर मरेंगे सब्र करो
तुम्हारी आँखो से आसू बहेंगे सब्र करो
हादसे होने में वक़्त लगता है सब्र करो
हमे तुम याद करोगे सब्र करो
🙏♥️🫂

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मुझे चुप करने का बहाना बना लेना
अगर मैं चुप ना हूँ तों सिने से लगा लेना
❤✍

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मैं तेरी य़ादो से कैसे निकल पाऊँगा🤔
मुझे लगता है बिखर जाऊँगा🥀
मगर निकल ना पाऊँगा😔🖤

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वो जिंदा है आज भी मेरे अलफ़ाज़ो में
पर वो अब केवल एक ख्वाब है
पता नहीं क्यूं आज तक मैं उसे भूला नहीं
जबकि वो नौ सालो से कान्हा तेरे पास है
❤️😢🙏

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हूं मैं आज़ाद इस दुनिया में
गगन मे उड़ान भरते परिंदों की तरह
फिर भी ये दिल रहता है उदास
उसकी य़ादो में वे घर परिंदों की तरह
😢♥️

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31 MAR AT 20:29

रोज अपनी जूबानी लिखू तों कितना अच्छा है
रोज एक कहानी लिखू तों कितना अच्छा है
रोज मै कुर्बान जबानी लिखू तों कितना अच्छा है
चलो हम भी प्यार कर ही लेते है
इसी बहाने प्यार पर कुछ लिखने को मिल जाये तों कितना अच्छा है

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26 MAR AT 13:09

तुम्हे भी वो भूल जाएगा तुम छोड़ कर देखो
कभी उसकी ख्वाहिशो से मुँह मोड़ कर देखो
प्रेम अधूरा ही रहता है ये बात मानो और
भरोसा ना हो तों इतिहास की पुस्तक को ज़रा खोल कर देखो

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