खुद से मिलने लगा हूं थोड़ा थोड़ा
कदम जो डगमगा रहे थे
संभलने लगा हूं थोड़ा थोड़ा
कुछ सपने मर गए थे
कुछ बिखर गए थे
बरसों से बेजार था दिल
अब सवरने लगा हूं थोड़ा-थोड़ा
खुद से मिलने लगा हूं थोड़ा थोड़ा
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Muser....
Nature lover....music l... read more
कहां अल्हड़ सी वीरानियों में बहती जा रही है
ये जिंदगी रुक तो जरा, तेरा तवाफ करना है-
कहानी आधी लिखकर अधूरी छोड़ देता हूं
आधी कहानी हकीकत के लिए छोड़ देता हूं
हकीकत में जो किरदार छोड़ कर जा चुके हैं
उन्हें कहानी में हकीकत बना के छोड़ देता हूं-
पानी पे कुछ अल्फ़ाज़ लिख कर छोड़ देता हूं
पूरे ना हो सके ख्वाब सितारों पर छोड़ देता हूं
जो मेरे अपने हैं हाल पूछ कर छोड़ देते हैं मुझे
मैं खुद को बेबस अपने हाल पर छोड़ देता हूं-
कितना हसीन होता है........
जिसे जिंदगी में हर कोई छोड़ कर चला जाता हो
ऐसे शख्स को यूं ही किसी मोड़ पर इत्तेफाक से
कुछ लम्हों के लिए किसी अजनबी का मिलना
और हमेशा के लिए उसको यादों में बसा लेना
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क्यों लगा मुझे, तू मेरे रुठ जाने से राजी है
मनाने की छोड़ो तू मुझे गवाने को राजी है
दिल्लगी होती तो शायद भूल जाता तुझे
इश्क है कि तू मेरी नस नस में बाकी है
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हम जो दूर से अक्सर मुस्कुराते हुए लगते हैं
गले लगा कर देखो, सिसकियां सुनाई देंगी-
हवाओं से कह दो जरा कुछ देर थम जाएं
किसी ने उम्मीद का दिया जलाया हुआ है
किसी से सौ बार धोखा खाने पर भी
फिर से आज उसे आजमाया हुआ है-
जिंदगी बिना रुके तन्हा सफर कर रही है
हम अभी भी मोड़ पर उनके इंतजार में है-