Kapil Bharti   (कपिल)
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soft and kind hearted, Personal assistant in ministry of home affairs
Joined 30 May 2017


soft and kind hearted, Personal assistant in ministry of home affairs
Joined 30 May 2017
22 OCT 2024 AT 22:06

वह क्यों रहते हैं दूर इसका कोई मतलब तो होगा
धड़कते दिल में उपहंता कोई मंजर तो होगा,
यूं ही नहीं होता कोई अपनों से जुदा,
हर रिश्तो के बिगड़ने के पीछे कोई बवंडर तो होगा

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22 OCT 2024 AT 22:02

मुफलिसी में हमें ऐसे ही भीगाओगे हमने सोचा ना था,
मेरी आंखों में आंसुओं को तुमने रोका न था,
कि तुम फरमाओगे हमसे गद्दारी इश्क
क्या ये हमसे इश्क में धोखा ना था

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17 OCT 2024 AT 22:25

ले चलो हमें भी फिर उस शहर में
जहां हम बदनाम हुए थे
ले चलो हमें फिर वहां
जहां हमारे किस्से तमाम हुए थे
हम ही हैं वह शख्स जो इश्क में नाकाम हुए थे
और हम ही हैं वह शख्स जिसकी वजह से शहर बदनाम हुए थे

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17 OCT 2024 AT 21:59

माना की कोई रिश्ता नहीं पर यूं ठुकराओ ना,
हंस कर ना सही एक बार नज़रे मिलाओ ना ,
जीवन के इस सफर में उम्र भर ना सही ,
थोड़े से सुकून के पल हमारे साथ बिताओ ना

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2 OCT 2024 AT 16:51

धोखा आप दो
और वफ़ा की उम्मीद हमसे करो
वाह क्या बात है

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30 SEP 2024 AT 23:23

हम नही मानते खामोशी है उसका मिजाज
हां भरी बज़्म में वह कह ना पाया होगा— % &— % &

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26 SEP 2024 AT 23:26

तुम इनकार करो, हम इजहार करेंगे
ये इकरारे मोहब्बत हजार बार करेंगे
कभी तो गुज़रो यार तुम मेरे कोरीडोर से
वरना हम तुम्हारा इंतजार तुम्हारे घर के बाहर करेंगे,,,,

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1 AUG 2024 AT 22:10

न जाने वह कैसा दर्द था जो मैंने संभाला था,
था वह ऐसा शख्स जो मेरा दिल दुखाने वाला था,
टूट कर बिखर गए थे हम उसे हादसे से,
फिर भी वह शख्स कहां बदलने वाला था,
मैं बना तो देता उसको ताज ए मुमताज,
पर वह मेरा रफीक अब दूर जाने वाला था,
वह न कर सके मेरे दर्द ए गम की पहचान,
अब मेरे पास सिर्फ आंसुओं का प्याला था,
हम हर रोज करते रहे उनके लौट आने की तमन्ना,
पर वह शख्स "कपिल" के इशारों को कहां समझने वाला था,,

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28 APR 2024 AT 10:05

तेरी मुस्कान मेरे जीने की आस है
तेरी सुरिलि आवाज में मां सरस्वती का बास है
तेरा होना ही मेरे लिए सुखद एहसास है
मेरी बिटिया ही मेरा गुरूर और मेरा अभिमान है

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27 APR 2024 AT 15:26

हृदय की गहराई में बसे इस एहसास को कैसे छुपाएं,
कैसे तुझसे दूर रहूं और कैसे तुझसे प्यार जताएँ,,
एक द्वंद्व सा एक हलचल सी है,
हम कह भी ना पाऊं और बताएं बिना रह भी ना पाऊं,,

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