Kapil Bairwa   (Kapil)
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Joined 23 July 2017


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Joined 23 July 2017
31 OCT 2023 AT 23:14

रातें अब लंबी होने लगी है ।
खेर छोड़ो .......
वजह सर्दियां बताई जा रही है ।

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9 MAR 2022 AT 3:07

इक ख्याल ,
इक ख़्वाब ।
उसका हमे
गले से लगाना ।

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3 FEB 2022 AT 21:55

भागदौड़ जीवन ,भगदड़ मन !

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31 DEC 2021 AT 22:29

My sweetest ,
You deserve the kind of love , poet often does to the poem.

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26 NOV 2021 AT 18:33

आज कुछ सता रहा है,
फिर एक पुराना दोस्त याद आ रहा है !

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17 NOV 2021 AT 3:44

Roop se rooh tak ka ye safar hi Ishq hai .

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13 AUG 2021 AT 12:45

कुछ लोगो को कोठी भी कम पड़ी,
किसी ने एक कमरा भी महल समझा

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29 JUL 2021 AT 23:27

तन्हाई , अकेलापन क्या होता है
उसने अभी महसूस किया होगा
उसे मालूम हुआ है
एक अरसा लगता है दिल को फिर से दिल बनाने मे।

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27 JUL 2021 AT 22:39

क्या हुआ जो दिल टूटा , उसके लिए खिलौना था , कुछ ना कुछ तो होना था

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6 JUL 2021 AT 0:07

आसान है क्या !
खुद को खुद ही से दूर जाते देखना !

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