Kapil Agarwal  
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Joined 14 October 2019


Joined 14 October 2019
23 JUL 2022 AT 21:09

दुआ कबूल ना हो जाए कहीं
मिल गया तो फ़िर चाहेंगे क्या..!

स्पंदन

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8 JUN 2022 AT 23:55

जब निकले थे तेरे पास से लगता हम कुछ तन्हा से थे..
ये करके फ़िर से इश्क़ यूँ हमने, इस तन्हाई का फ़ायदा उठा लिया..!

स्पंदन

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1 JUN 2022 AT 23:29

किराएदार की तरह रहना है तुम्हें या बन के मालिक इसका..
बस इतना समझ लो कि यादों का घर कभी ख़ाली नहीं रहता..!

स्पंदन

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29 MAY 2022 AT 19:25

कभी आंखों के किनारों पे, कभी पलकों के सहारों पे

कभी झलकने ना देने से, तो कभी छलकने ना देने से

कहीं छुपा लेते हैं क्या ये अपने आंसू, क्या जो मर्द हैं वो रोते नहीं हैं..!

~स्पंदन

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28 MAY 2022 AT 20:47

वो मेरी मेज का कमबख्त लैम्प, वो दिनभर से तन्हा सी गुस्साई कलम..
ख़्वाहिशें अधूरी ऐसे ही तो नहीं मेरी, ये दिन रात मिलने की साज़िशें जो करते हैं..!!

~स्पंदन

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28 MAY 2022 AT 19:15

आंखें, हंसी, लब, अदाएं और शोखी, ये सब नजदीकियों की ही बातें हैं..
दूरियों को दूर ही रखिए जनाब कि, याद वही आते हैं जो याद रहते हैं..!

~स्पंदन

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25 MAY 2022 AT 1:05

सब कर लेना ये गुफ़्तगू पर, हमसे ये बातें ना पूछना तुम इश्क़ की..
जो सुन लिया ज़रा भी फ़साना मेरा, तो कहीं और के नहीं रहोगे..!

स्पंदन

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15 MAY 2022 AT 7:25

अब ये इश्क़ ही क्या कम है जेहन में आग लगाने को..
क्यूँ इस गर्मी में हम मिलने आयें, अब ये जिस्म जलाने को,

हमारे हिस्से की ठंडक नसीब किसी और के आजकल..
और हम हैं कि ढूँढ रहे नदी, समंदर की प्यास बुझाने को..!

स्पंदन

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14 MAY 2022 AT 11:40

दिल से करो चाहे दिमाग से करो पर कुछ तो फ़िर भी करो..
अच्छा करो ना करो बस करो जो भी सच्चा करो..!

स्पंदन

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13 MAY 2022 AT 8:47

जो कल तक था जेहन में आज शिकन में भी नहीं,

आंखों से नहीं उतरता था जो आज जबां पे भी नहीं..

जनाब ये नयी बनाते रहिए कि यादें हर रोज़ मरती हैं..!

स्पंदन

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