रिश्ते कभी जिंदगी के साथ साथ नहीं चलते रिश्ते एक बार बनते है फिर जिंदगी रिश्तो के साथ साथ चलती है जो इंसान “खुद” के लिये जीता है उसका एक दिन “मरण” होता है पर जो इंसान ”दूसरों” के लिये जीता है उसका हमेशा “स्मरण” होता है
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वो रिश्ते बड़े प्यारे होते हैं जिनमें न हक़ हो, न शक हो न अपना हो, न पराया हो न दूर हो, न पास हो न जात हो, न जज़बात हो सिर्फ अपनेपन का एहसास
ही एहसास हो-
जिसके साथ बात करने से
ही ख़ुशी दोगुनी और दुःख
आधा हो जाए वो ही
अपना है
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"जीतूँगा मैं यह ख़ुद से वादा करो जितना सोचते हो कोशिश उससे ज्यादा करो तकदीर भी रूठे पर हिम्मत न टूटे मजबूत इतना अपना इरादा करो की दुश्मन भी आँखे जुका कर करे नमन"
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कबीरदास जी कहते हैं कि जैसे खजूर का पेड़ बहुत बड़ा होता है उसकी छाया भी नहीं मिलती हैं और उसका फल भी बहुत दूर
लगता है। हमें भी ऐसा नहीं बनना चाहिए कि हम किसी का भला नहीं कर पाए या हम किसी को मदद ना कर पाए-
बड़ा हुआ तो क्या हुआ
जैसे पेड़ खजूर।
पंछी को छाया नहीं
फल लागत अति दूर॥
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"यदि हम अभी भी उस व्यक्ति को
ढूंढ रहे हैं जो हमारी जिंदगी बदल
सकता है तो हमें एक बार आईने में अवश्य देखना चाहिए क्योंकि
खुद से ज्यादा हमें और कोई
नहीं बदल सकता"
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"जीवन" में "ऐसे कई लोग" होते हैं
जिन्हें आप "समय" के साथ सब
भूल जाते हैं लेकिन ऐसे "कुछ ही लोग" होते हैं जिनके "साथ" आप "समय" "भूल" जाते हैं "उन्हें" कभी न "खोएं"
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गहराई से लगन लगाकर पुरूषार्थ करें तो वस्तु प्राप्त हुए बिना न रहे
अनादि काल से लगन लगी ही नही है
लगन लगे तो ज्ञान और आनन्द अवश्य प्रगट हो-
दोषों को छिपाने का नहीं, मिटाने
का उपाय करो गुणों को दिखाने
का नहीं, गुणों में समाने का
उपाय करो-