kanupriya singh  
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Joined 14 September 2017


Joined 14 September 2017
22 SEP 2022 AT 7:34

कि अंगारो पे मैं खड़ा हूँ, पल पल मैं जल रहा हूं,
एक कदम पर मेरे हैं दरिया, फिर भी न बढ़ रहा हूं,
कि क्या हुआ है मुझको, कहाँ मैं फंस गया हूं,
मैं अपने आज में हो के भी, बीते कल में जी रहा हूँ।
कि..
खत्म हो चुके जो फ़साने, उन्हें ना दफ़्न कर रहा हूँ,
मान के उन्हें ज़िंदा, मैं खुद से लड़ रहा हूँ।।
मैं खुद से लड़ रहा हूँ..।।

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2 JUN 2022 AT 16:21

हिसाब कब रखा मैने अपने हालातों का..
अब तो बुरा मानना भी छोड दिया लोगों की बातों का||

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1 MAY 2022 AT 19:23

ज़िंदगी में बहुत से अफसाने हो गए,
ग़म के कुछ पक्के से ठिकाने हो गए,
एक वक्त था जब चहरे से हँसी जाती ही नहीं थी,
आलम ये हैं कि मुस्कुराये हुए भी ज़माने हो गए।।

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16 JAN 2022 AT 23:58

ये जो दोस्ती का पाठ पढ़ा रहे हैं..
ये खुद कहाँ से पढ़ कर आ रहे है..
सीने में उतार के खंजर हमारे,
हमसे वफ़ा की उम्मीद लगा रहे है..

ऐसा भी नहीं, अनजान हैं हम..
सब जान कर भी साथ निभा रहे है..
सापों को पालने की आदत हैं हमारी..
बस इसीलिए साथ बिठा रहे हैं..

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1 DEC 2021 AT 10:30

मुझे अब रहना है अकेले..
बस याद तुम्हारी ना आये..
तुम तो इतना बदल गए हो..
तुम्हें ना पहचाने तुम्हारे ही सायें..
गलती एक वक्त तक ठीक है...
बार बार करो तो वो गुनाह हैं..
और गुनाह की होती नहीं माफ़ी..
होती हैं तो सिर्फ सज़ायें।।

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26 OCT 2021 AT 16:54

इस सफर में मेरे, मेरा कोई हो नहीं पाया..
थक गया हूं बहुत मगर कभी चैन से सो ना पाया..
मुझे लगा हाथ थाम कर मेरा खड़ा है कोई..
पलट कर देखा तो पाया वो था महज़ मेरा साया..
जानता हूं कि इस दुनिया मे सब बुरे नहीं..
मगर खुद के जैसा भी कोई नज़र ना आया..
सबकी अपनी उलझने हैं, सबकी अपनी बेचैनियां हैं..
ये सुकूँ कब इतना कीमती हो गया..
न गरीब के हाथ आया, ना अमीर खरीद पाया।।

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16 APR 2021 AT 21:16

चुनाव ज़रूरी हैं!!.. तुम्हारी जान नहीं!!
आम आदमी के इलाज के लिए अस्पताल नहीं!!
मर गए.. तो जलने को शमशान नहीं।।
अब भी इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं, कोई सवाल नहीं..
क्योंकि..
चुनाव ज़रूरी हैं!!.. तुम्हारी जान नहीं!!

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2 APR 2021 AT 21:55

जैसे उमड़ते सैलाब का कोई बहाव नहीं..
मेरी ज़िंदगी मे भी कोई ठहराव नहीं..
मैं वक़्त पर छोड़ बैठी हूं कुछ फैसले..
जिन फैसलों से अब मेरा कोई लगाव नहीं..
बहुत कुछ है जो होता नहीं हैं अपने हाथ मे..
ऐसी बातों पर अब मेरा कोई सुझाव नहीं..
ज़िन्दगी जैसी भी हो, सीखा जाती है बहुत कुछ..
याद रखना तो सबक, सफर में मिले घाव नहीं।।

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19 MAR 2021 AT 10:51

जो छोटी छोटी बातों पर खुश हो जाया करते है,
उन्हें रुलाने वाले यहाँ कदम कदम पर मिलते हैं,
मोल उसी का होता है जिसके नखरे हज़ार हो,
ये सब तो कहने की बात है कि लोग सादगी पर मरते हैं।।

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18 MAR 2021 AT 19:36


गर मैं बिखर जाऊ तो क्या होगा..
कोई रहेगा थामने के लिए.. या उस वक़्त भी तन्हां होंगा..

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