---------------------------------------------- ज़िंदगी के सवालों में उलझी इक पहेली सी लगती है, बंदिशों में जकड़ी इक कड़ी कड़ी सी लगती है, न जवाब है कोई, न हल दिखाई पढ़ता है, बस ज़ेहन में रहता है सवालों का कारवां, जो तिल-तिल उसे तोड़ता रहता है।।।
वो लाल रंग मेरी मांग तेरे नाम का भर दे, बिन बोले भी तू प्यार का इज़हार कर दे, साथ मैं चलूँगी तेरे, ये वादा है मेरा, इस वादे में बस तू मेरा साथ दे दे।।। — % &
खिलकर मुस्कुराऊँ कैसे, देहलीज़ पर मेरी मुस्कान को रोक रखा है, पंख अपने फैलाऊँ कैसे, इन रिवाज़ों की बेड़ियों ने जकड़ रखा है, आसमां की ख़्वाहिश करू कैसे, मेरी उड़ानों को इस जहां ने रोक रखा है, लड़की होना आसान नहीं, दुनिया की देहशत ने मुझे यूँ बना रखा है।।।