मुश्किलों के दौर में खुद की पहचान
संघर्षों से मिलेगा वो जब मानसम्मान
ग़र बनना है, मिसाल तो निभाने पढ़ेंगे!-
डर मुझे भी लगता है ये फांसला देखकर
पर मैं बढूँगी रास्ता देखकर
खुद- ब- खुद नज... read more
ये शाम मस्तानी
बारिशों की बूंदों की मैं दीवानी !
रुक रुक कर चलती मीठी सी
हवा है ,आज बड़ी सुहानी!!
रिमझिम रिमझिम बारिशों का दौर है,
जहां देखो वहां नाचते मोर ही मोर है !
पीहू पीहू करे कोयल की आवाज से ,
आज चारों तरफ प्रकृति का शोर है!!
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राह को न छोड़ तू
कदमों को न मोड़ तू
गर है राह वीरान तो
संग नई उम्मीद जोड़ तू !-
ख्वाब वो ही अच्छे जिनमें जुनून हो
एक जोश भरा सकारात्मक सुकून हो
नील गगन में उड़ान भरने की ललक हो
संघर्षों में सफलता की झलक हो!
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तुम बनो प्रबल प्रवीण, प्रफुल्लित पुष्प जैसे
तुम चलो चपलता चाल, चकित चट्टान हो जैसे
तुम चलो डगर , न हो तुम्हारे पग डगमग
तुम रहो निर्भय निर्भीक, नभ जैसे हो जगमग!-
"प्रगति"पद पर रहे अग्रसर, "माधवी" सम सब रहे,
आंखों में लाज "काजल" की, निश्रा "निशा" संग रहे !
"मीनाक्षी" से चंचल नैन, "पुष्पा" दिलो में महकती रहे,
"निकिता" सी लालिमा चेहरे पर, "कशिश" हमेशा चमकती रहे!
अकल्पित मस्ती "अक्षय" तुम्हारी, "रजत" सी दमकती रहे ,
"बादल" सा "दृढ़"प्रतिज्ञ , "शिव" की कृपा झलकती रहे !
"पूजा" हो पल प्रतिपल, "पूनम" सदैव प्रिय रहे ,
"अनुजय" जैसा निर्भय जीवन, सशक्त "राहुल" सक्रिय रहे!
"भारत" सा पुलकित मन, "कार्तिक" सदर्श कर्म रहे ,
"कनिष्का" दोस्ती ऐसे रहे सदा, ये बंधन सर्वदा आदर्श रहे!-
चल मुलाकात करते है!
सुबह की वो ठंड मे
दो चाय कप साथ में,
ठिठुरती सी शाम में
प्यारी बाते करते है!
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एक दो एक दो
खुदी को खो दो!
तीन चार तीन चार
कोशिश करो बार बार!
पांच छह पांच छह
दिक्कत थोड़ी सह सह!
सात आठ सात आठ
बांध लो मन में गांठ!
नौ दस नौ दस
इतना कर लो बस!
ग्यारह ग्यारह बारह बारह
जीवन में लो थोड़ा सराह!
तेरह तेरह चौदह चौदह
चमकते रहो जैसे सुबह!
पंद्रह पन्द्रह सोलह सोलह
मजबूत बना खुदको हर तरह!
सत्रह सत्रह अठारह अठारह
आसमां की उड़ान में हो फतह !
उन्नीस उन्नीस बीस बीस
कर्म करते रहो और बनो नफीस!
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क्यों अकेले छुपी तू नजरो से ,
साथ बैठ इस अंधेरे सफ़र में
कुछ न सही झूठी तकरार तो कर !
भीगी चक्षु को न अश्क में बहाकर
न क्रोध भरे जज्बातों में खुद को दबा,
कह दे जो तड़प तड़प के जी उठी जबां
मुझसे न सही अंधेरे से दो अल्फाज़ तो कर!-