वो करम उँगलियों पे गिनते हैंज़ुल्म का जिनके कुछ हिसाब नहीं - Kanishk jha
वो करम उँगलियों पे गिनते हैंज़ुल्म का जिनके कुछ हिसाब नहीं
- Kanishk jha