कितना शोर है इन खामोशियों में,
तन्हाइयों में भी खलबली है,
मेरी जुबां से भले कुछ ना निकले,
ये निगाहें सब बोलती है,
तेरी कल्पनाओं में भी मैं नहीं शायद,
मेरे जर्रे जर्रे में तू शामिल है,
लफ्ज़ो की जरूरत यहाँ किसे है,
मेरी ये मुस्कुराहट ही दिल के राज़ खोलती है।
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