kanhaiya sharma   (कन्हैया शर्मा)
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Joined 9 March 2019


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9 APR 2022 AT 20:48

जाना किधर था
ना जाने किधर बढ़ रहा हूं मैं

लिखनी थी खुद की तकदीर
ना जाने दूसरों की लकीरें पढ़ रहा हूँ मैं

उम्मीदें होनी थी खुद से
ना जाने हालतों को दोष दे रहा हूँ मैं

हासिल नहीं किया कुछ भी
ना जाने खोने से क्या डर रहा हूं मैं

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14 FEB 2022 AT 10:27

मान जाऊँ तुम्हारी हर ख्वाहिशें
एक बार कह कर तो देखो

याद है मुझे वो सारी मुलाकातें
एक बार इन आँखों मे झाँक कर तो देखो

अब तक तेरी महक बसी मुझमें
एक बार सीने से लगा कर तो देखो

दूर नही गया तुझसे मैं
एक बार आवाज़ लगा कर तो देखो

मशहूर है तेरे खिस्से मेरे शहर में
एक बार अपना नाम बता कर तो देखो

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2 SEP 2021 AT 17:17

छोड़ चला जाऊं किसी रोज़ इन राहों को
तो माफ़ कर देना यारों

सुना है ये ज़िन्दगी बड़ी खुदगर्ज़ है
किसी को मौहलत नहीं देती

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23 AUG 2021 AT 17:48

हाँ सीख लिया मैंने मोहब्बत करना
तुम निभाना कब सीखोगे ?

हाँ सीख लिया मैंने इंतेज़ार करना
तुम साथ देना कब सीखोगे ?

हाँ सीख लिया मैंने दिल लगाना
तुम निगाहें मिलाना कब सीखोगे ?

हाँ सीख लिया मैंने इज़हार करना
तुम इकरार करना कब सीखोगे ?

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24 FEB 2021 AT 16:35

ढल गया है सूरज भी अब तो
मगर तुम्हारी शाम कब होगी?

हर दिन बहाना काम का
तुम्हरी रातें आम कब होगी?

मुलाकातें मेज पर रखी हैं
मगर ये बाते तमाम कब होंगी?

तन्हा ही वक्त कट जाता है
तमाम घड़ियां नाकाम कब होगी?

भर दिए है कोरे कागज कुछ
ये चिट्टीयाँ पयाम कब होगी?

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5 OCT 2020 AT 16:27

एक बार फिर इंसाफ़ कहीं हो गया

( नीचे शीर्षक पढें )

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3 OCT 2020 AT 13:34

कभी नाम बदले
कभी जगह बदली
पर दरिंदगी की सोच ना बदली इन हैवानों की
आ गया अब समय कि हम बदले
आओ मिलकर साथ हम मोमबत्ती नहीं
चिता जलाए अबकी इन हैवानो की
#hang_the_rapist

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21 AUG 2020 AT 18:16

कल तुम्हें फ़ुर्सत ना मिली
तो क्या करोगे ???

कल इतनी मौहलत ना मिली
तो क्या करोगे ???

रोज़ कहते हो ना कल
बात करोगे मुझसे

कल मेरी आँखे ही ना खुली
तो क्या करोगे ???

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6 AUG 2020 AT 21:21

चाँद और सूरज
सा इश्क़ है हमारा
मैं जलता हुँ तुझे रौशन
करने के लिए
तू ढलती है मुझे रौशन
करने के लिए

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14 JUL 2020 AT 9:26

कुछ कह गए
कुछ सह गए
कुछ कहे अनसुने
अल्फाज़ यूँ ही बिखर गए
इस सही ग़लत के खेल में
ना जाने कितने ही रिश्ते
ढल गए

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