नारी सृष्टि का आधार है नारी महिमा अपरम्पार है,
नारी बिन जीवन कहाँ नारी जीवन का आधार है।
नारी बिन अधूरा संसार है नारी से घर परिवार है
नारी जगत की पालनहार है क्यों होता नारी तिरस्कार है।
नारी का होता नहीं जहाँ मान और सम्मान है,
वहाँ देवी पूजन है व्यर्थ और व्यर्थ सब दान है।
लक्ष्मी,दुर्गा,सरस्वती सब नारी के हैं यहाँ रूप,
देवी सा गौरव मिले यहाँ नारी जन्म अनूप है।
मुश्क़िल वक़्त में खुद को लेती है सदा ढाल,
नारी है वो बहती नदी जो जीवन करती निहाल है।
खुशियाँ रखे ये संजोकर जैसे मोती रखता सीप,
नारी है हर घर की लक्ष्मी ये नारी संध्या दीप है।
बेज्जत होती रही नारी फिर भी बनी सितार,
नारी ने हर दुख दर्द सहकर बाँटा केवल प्यार है।
पायल ही इसकी बेड़ी बनी नारी की कैसी है तकदीर,
नारी का क़िरदार होता यहाँ बस फ्रेम जड़ी तस्वीर है।
नारी को कमजोर समझकर मत करो भारी भूल,
नारी इस संसार में रखती सदा जीवन का मूल है।
नारी मूरत है त्याग की नारी प्रेम दया की खान है ,
करना जीवन में सदा नारी का हर वक़्त सम्मान है।
सृष्टि की कल्पना नहीं नारी बिना यही जगत आधार है,
नारी के हर रूप की इस संसार में महिमा बड़ी अपार है।
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