क्या लिखूं कि प्यार हमे तुमसे बहुत है
क्या लिखूं कि दर्द का एहसास बहुत है
क्या लिखूं दर्द अपना कहानी बहुत है
दिल दुखाया सभी ने निशानी बहुत है
जिसके दर्द को लगाया गले से मैने अपने
इसी ने इल्जाम मुझ पर लगाया बहुत है
क्या लिखूं दर्द अपना..........
जी करता है पी लूं सारा जहर मै
मिटा दूं खुद को पहर ही पहर में
दर्द सहा नही जाता है जिंदगानी बहुत है
क्या लिखूं दर्द अपना........
आएगी जब भी मेरी याद तुमको
पश्चाताप के आंसू कैसे रुकोगे तुम तो
दर्द भरी जिंदगी है खींचातानी बहुत है
क्या लिखूं दर्द अपना.......
बैचेन रहते भी दिल थामा सभी का
एक सरल सा किनारा हम बने सभी का
किनारे पे सभी ने डुबाया बहुत है
क्या लिखूं दर्द अपना कहानी बहुत है
दिल दुखाया सभी ने निशानी बहुत है
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