ज़रा मेरे चांद से तो पूछो कि उनका हाल कैसा है ,
वहां रातें लंबी हो रही है !!
और इधर मेरे दिल का मिज़ाज इन सर्द पड़ी सिलवटों पर बिखरता जा रहा हैै!!-
चलो मान लिया वो बेवफा नहीं ,
पर इस दिल का क्या कसूर जो उनके इनकार में भी इकरार धुंध बैठा!!!-
सुनो !!तुम ना मेरी चिठिया बन जाया करो,
तुम ना रहो तो तुम्हें पढ़ लू ,
तुम पास हो तो अंहो में भर लू।
सुनो!!तुम ना चिठियो की लकीर बन जाया करो,
जो तुम अक़्सर खिचते हो मेरी दिल की दीवारो पर मेरा नाम लिख कर।
पता है तुम कभी मानोगे नहीं,
पर तुम मझे लिखते भी तो हो इसी दरकार पर ,की कभी मिलना हुआ तो कह दूंगा ,
वो सारी चीज़ें कभी लिखी थी तुम्हारे लिए तुम्हारे प्यार पर।।-
चलो मान लिया तुम धोखेबाज नहीं,
पर ऐसी अदाएगी से किसी को चुराना दगा नहीं तो फिर क्या है।
चलो मान लिया वो गुलनार के फूल नहीं लगती तुम बालों में मेरे लिए,
पर तुम्हारे दुपट्टे का यूं सरक जाना किसी को तड़पाना नहीं तो फिर क्या है।
तुम अक़्सर कहती की मेरा तुमसे कोई दरकार नहीं,
फिर मझसे एक पल की दूरी ना सेह पाना प्यार नहीं तो फिर क्या है।
मैं मानता हूं तुम्हारे इनकार के इज़हार को,
पर मझे देख कर तुम्हारा यूं शर्मा कर पलके झुकना ,
अपने दुपट्टे के कोनों को अपनी उंगलियों में घुमाना,
और धीरे से इशारों इशारों में सारी अनकही बातें कर जाना !! यह प्यार नहीं तो फिर क्या है!।-
तुम्हारे सोच से परे है, मेरा प्यार प्रिये!!
तुम्हे सोचू तो कल्पना है,
तुम्हे लिख दू तो कहानी ।
तुम्हे पा लू तो किस्मत,
तुम्हे छु लू तो आसमां गुलाबी ।
तुम्हारे सोच से परे है,मेरा प्यार प्रिये!
अब तुम इसे संजो कर रखो या फेक दो ,
ये तुम्हारी जवाबदारी ।
यह मेरा है आभार प्रिये!
तुम्हारे सोच से परे हैं ,मेरा प्यार प्रिये!
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खुमार अगर चाहत का होता तो क्या बात थी ,
यहां तो तुम मेरी आदत बन चुके हो!!-
अबकी बार आना तो थोड़ा वक्त भी साथ ले लाना,
कुछ अनसुनी अनकही बातें करनी थी तुमसे,
जो अब न कह पाई तो शायद कभी न कह पाऊंगी,
की कितनी रातें ,कितनी दिन गुजारें है तुम्हारी याद मे,
सुनो!! अबकी बार आना तो थोड़ी शाम भी ले आना,
अब तक वो चाय की प्याली,तुम्हारा इंतज़ार कर रही है,
वो अधूरे खत,जो कभी लिखे थे तुमने मेरे लिए,
वो समुन्द्र का किनारा ,जिसकी सिलवटें आज भी उस बंद कमरें की बिस्तर पर पड़ी है,
इंतज़ार कर रही है तुम्हारा,
सुनो!! इस बार आना तो अपनी दिल में जगह और प्यार लेकर आना ,
कुछ अनसुनी ,अनकही ,दिल की बातें करनी है तुमसे!!-
बस इतना कहना था... जनाब !! आदात और इबादत में बहुत फर्क होता है।
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आज फिर तन्हाई और तुम्हारी यादों ने घेरा था ,
उसी डूबते सूरज के साथ जिसके चेहरे पर लाली तो थी ,
मगर शाम को रात में ढलने का दुख भी था ,
ओश की बूंदें टपक रही थी शायद और इधर मेरा दिल भी पिघल रहा था,
कुछ लोग बातें कर रहे थे तुम्हारी और मैं यहां तुम्हे शायद अपनी यादों में बसा रही था ,
उसी कोने में खड़ी थी मैं ! जहां तुम अकसर आकर रुक जाया करते थें,
वहीं शाम ,वहीं रात ,वहीं बातें ,वहीं तुम ,वहीं आग के सुलगता धूएं में मिलता तुम और तुम्हारा प्यार ,
और अब बस है !!! तो वहीं शाम ,वहीं तन्हाई ,वहीं लोग ,पर कुछ नहीं है तो वो हो तुम और तुम्हारा प्यार !!
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आज की हवा कुछ सर्द सी है ,
तेरे मेरे बीच की अधूरी बात कुछ मर्ज़ सी है ,
ये धीरे धीरे कुरेद रहा है ज़ख़्म मेरे ,
आज कल मेरे दिल के हलात थोड़ी नरम सी है,
अब तो लहू भी नहीं निकलता कम्बख़त इस ज़ख्म से ,
लगता है! इस दर्द की शुरुवात अब तुझसे ही है ,
चलो सेह लेंगे ये चुबता हुआ दर्द भी तुम्हारे लिए ,
पर ये तो बताओ क्या आने वाले कई और साल बस तुमसे है ??
चलो मान लिया साथ ना रहोगे तुम मेरे ,
पर क्या ये दिल के जस्बात भी सिर्फ तुमसे है ??
आज की हवा कुछ सर्द सी है,
तेरे मेरे बीच की अधूरी बात कुछ मर्ज़ सी है।
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