एक तो तुमसे उक्ताए जा रहे हैं
दूजा दुनिया की बातों में आए जा रहे हैं
मंजिल सीधा, सफर तन्हा , हम
किसकी तलाश में दाएं बाएं जा रहे हैं
खुद को सच्चा बताते फिर रहे
और दिल की बात भी छुपाए जा रहे हैं
जो बातें आती नहीं खुद समझ हमको
दूसरों को समझाए जा रहे हैं
हजार कमियां है मुझ में फिर भी
खुद को सबसे बेहतर बताए जा रहे हैं
समझने लगा हूं चालाकियां जब से
खामोशियों के मायने समझ में आए जा रहे हैं
खुशियां टिकती नहीं जिंदगी में और
गम लगातार आए जा रहें हैं-
अभी जाना नहीं है खुद को जान गए तो बताएंगे आपको
अभ... read more
तुम देखती हो
जब मुझे
तो मैं भी देखता हूँ
खुद को
देखता हूँ
कि क्या देखती हो तुम-
ऐसा समाज
जो सब कुछ
नजरअंदाज कर देता है
हर चीज से नजरें फेर लेता है
घूरने लगता है
प्रेम में थामे हाथों को
जैसे मानो हाथों में हाथ नहीं
गोलियां और बम हो
ऐसे समाज में
पता नहीं
थाम पाऊँगा कि नहीं तुम्हारा हाथ
दे पाऊँगा कि नहीं तुम्हारा साथ-
अच्छाई थी बुराई थी
हंसना था रोना था
पर ऐसा ना था
तुम आई तो साथ में
कुछ लेकर आई
जो पहले नहीं था
खुश पहले भी होते थे
पर ऐसे नहीं
सपना देखते थे
पर सपने अब अलग थे
थोड़ा-थोड़ा सब बदल गया था
सब कुछ ठीक लगने लगा था
फिर धीरे-धीरे तुम्हारे होने का
भरम टूटने लगा
अब सब तो गया ही
जो तुम्हारे आने के बाद आया था
वह भी नहीं रहा जो
तुम्हारे आने से पहले था-
जीवन और मृत्यु से लड़ रहा मनुष्य
कोस रहा है ईश्वर को
पर यह लड़ाई तो
हम ने ही छेड़ी है हमारे खिलाफ
ईश्वर कभी नहीं छोड़ता
मनुष्य के खिलाफ जंग
पर हां हम जंग जीतेंगे जरूर
पर हमें हारना भी हारना भी होगा
हमारी जीत से ही ईश्वर की जीत होगी
और हमारी हार में भी ईश्वर की जीत होगी
हम जीतते हैं हम हारते हैं
ईश्वर कभी नहीं हारा-
प्रेम में
हमेशा
तालाश होती है
कभी खुद को
खुद में
तलाशा जाता है
कभी उसमें
जिससे आप प्रेम करते हैं
और तलाश
उस दिन खत्म होती है
जिस दिन आप हर जगह
एक से दिखाई पड़ते हैं-
तुम से
बिछड़ कर
खुद को खो दूंगा तुम में
मुझे
बचाए रखने की
जिम्मेदारी अब तुम्हारी है-
कभी-कभी सोचता हूं
तुमसे ना मिलता तो क्या होता?
मैं कैसा होता ?
तो क्या आज मैं ऐसा होता?
जैसा हूं
तो क्या आज मैं ऐसा सोचता ?
जैसा सोचता हूं
कितना कुछ बदल गया है ना?
मैं भी बदल गया हूं
सच कह रहा हूं
यह तो नहीं कहूंगा कि तुमने बदला है
पर यह जरूर है
कि तुम्हारे प्रेम में बदला हुँ
दुनिया में लोग कई कारणों से बदलते होंगे
पर प्रेम में बदलना दुनिया का सबसे खूबसूरत बदलाव है-
कि नहीं पड़ना है झमेले में तो मत पड़ो
पर लगता है कि है हक की लड़ाई तो लड़ो
लड़ो की बात जीत हार की नहीं है
मसला वजूद का भी तो है सो लड़ो
कब तक हाथों में हाथ देकर बैठोगे
कभी तो लड़ना ही पड़ेगा सो आज लड़ो
लड़ना गलत तो है नहीं
हक के लिए लड़ना हक है हमारा सो लड़ो
लड़ो की कोई पीछे छुट ना जाए कोई दीपक कहीं बुत ना जाए
अगर शमा जलाए रखना है तो थोड़ा जलो चलो लड़ो
लड़ो की किसी के चस्मा किसी के बैसाखी हो तुम
लड़ो की सच के साथी हो तुम
गर लड़ाई तुम्हारी नहीं है तो भी लड़ो
गर जुल्म तुम पे नहीं किसी और पे हुआ है तो भी लड़ो
आज जो हम पे बीती है कल तुम पे बित सकती है
उस समय तुम अकले ना पड़ो सो आज मेरे साथ लड़ो
लड़ो की योद्धा हो तुम लड़ो के नागरिक को तुम लड़ो लड़ना हक है तुम्हारा
कंचन सिंह-