तुम क्या गए
मेरे सारे सुर बिखर गए
जीवन संगीत और प्रकृति प्रेम सब लुप्त हो गए
मैं हवा के झोंके से गिरते पत्तो के लिए भी रोती हूं
तुम तो समूचे बसंत थे....-
चुप्पी
सुन सकती है,
देख सकती है ,
चिल्ला सकती है
मगर , बोल नहीं सकती ।
-
If women were allowed to get mad and men were allowed to get sad we'd all be a lot happier overall.
-
गीत
संगीत
ग़ज़ल
नज़्म
उपन्यास ...
जाने किस किस जैसा होगा आपका घर
दीवारों को सराहने वाले सब आकर
चले जाएं, तो हमें बुलाना...
-
प्रेम का समानार्थी शब्द नहीं होता
प्रेम का विलोम शब्द होता है "प्रेम"-
उससे मिलने मात्र से महसूस हुआ
जैसे कौरवों में विकीर्ण अभी जिंदा है
बिछोह तक उसमें अर्जुन देखने की
इच्छा अधूरी रही...-
" भाव "
...अगर हम किसी चीज को उसकी गहराई से प्यार करते हैं तो उस चीज के बिछोह का असीम दुख हमारे अलावा सिर्फ प्रकृति समझ सकती है ...जो कभी हमें सांतवना नहीं दे सकती
और जब हम उस दुख में होते हैं...और आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं तब एक प्रतिद्वंद्व में फंस जाते हैं और पाते है तो सिर्फ आत्मग्लानि और अपराधबोध...
और जब हमें कुछ अच्छा मिलता भी है तो ...हम डरते उसे आत्मसात् करने से ...मन में डर बना रहता है ... की अब मै नहीं बर्दाश्त कर पाऊंगी एक ओर बिछोह ओर उसका असीम दुख ....नहीं देख पाऊंगी रास्ते में ओझल होती एक प्रिय परछाई को........।
"वो" कह रहा था "अरे तुमने तो बहुत भाव लिख दिए".... और मैं मुस्कुरा रही थी-