Kanchan jangir  
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Insta... Kanchansometimes
Joined 10 January 2018


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Joined 10 January 2018
5 JAN 2022 AT 17:09

तुम क्या गए
मेरे सारे सुर बिखर गए
जीवन संगीत और प्रकृति प्रेम सब लुप्त हो गए
मैं हवा के झोंके से गिरते पत्तो के लिए भी रोती हूं
तुम तो समूचे बसंत थे....

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27 JUN 2021 AT 13:52

चुप्पी
सुन सकती है,
देख सकती है ,
चिल्ला सकती है
मगर , बोल नहीं सकती ।

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15 JUN 2021 AT 21:26

If women were allowed to get mad and men were allowed to get sad we'd all be a lot happier overall.

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14 JUN 2021 AT 7:21

खुशी को पाने के लिए पागल हो जाना सुविधाजनक रास्ता है ।

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18 FEB 2021 AT 7:22

गीत
संगीत
ग़ज़ल
नज़्म
उपन्यास ...
जाने किस किस जैसा होगा आपका घर
दीवारों को सराहने वाले सब आकर
चले जाएं, तो हमें बुलाना...

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31 AUG 2020 AT 10:02

रोशन कर देंगे हर एक फिज़ा को
हौसला हमारा आफ़ताब सा है।

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30 JUN 2020 AT 22:31

प्रेम का समानार्थी शब्द नहीं होता
प्रेम का विलोम शब्द होता है "प्रेम"

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30 APR 2020 AT 18:53

उससे मिलने मात्र से महसूस हुआ
जैसे कौरवों में विकीर्ण अभी जिंदा है
बिछोह तक उसमें अर्जुन देखने की
इच्छा अधूरी रही...

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24 APR 2020 AT 18:08

" भाव "
...अगर हम किसी चीज को उसकी गहराई से प्यार करते हैं तो उस चीज के बिछोह का असीम दुख हमारे अलावा सिर्फ प्रकृति समझ सकती है ...जो कभी हमें सांतवना नहीं दे सकती
और जब हम उस दुख में होते हैं...और आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं तब एक प्रतिद्वंद्व में फंस जाते हैं और पाते है तो सिर्फ आत्मग्लानि और अपराधबोध...
और जब हमें कुछ अच्छा मिलता भी है तो ...हम डरते उसे आत्मसात् करने से ...मन में डर बना रहता है ... की अब मै नहीं बर्दाश्त कर पाऊंगी एक ओर बिछोह ओर उसका असीम दुख ....नहीं देख पाऊंगी रास्ते में ओझल होती एक प्रिय परछाई को........।
"वो" कह रहा था "अरे तुमने तो बहुत भाव लिख दिए".... और मैं मुस्कुरा रही थी

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6 APR 2020 AT 17:59

मिलना
मुस्कुराना
मरना

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