मेरा आखरी इंतज़ार हो तुम
मेरी आखरी कहानी की पहली अदाकारों हो तुम,मेरे सपनो का सालोनो का सितारा हो तुम, कोई किसी को कितना चाहे वो हद का आखरी किनारा हो तुम,तुम होतो मै हूं ऐसा सफरनामा हो तुम,कोई फिर भी कभी पूछेगा कोन हो तुम तो बस मुकुराएंगे और चुप रहेंगे और मन ही मन कहेंगे,
मेरा आखरी इंतज़ार हो तुम
"नि:शब्द योगी"-
Never miss any chance of happiness
किसी को इतना न सताया करो
कभी किसी से दिल भी लगाया करो
नि:शब्द यहां कौन है जो उम्रभर मिलेगा
जो है उसे हंसके गले लगाया करो
"नि:शब्द योगी"-
उसके चेहरे के ख्यालों ने उसे इसकदर बांध रखा है
जैसे किसी दिए तले अंधेरा हो और मे क्या रखा है
बिचारा कहा जनता है मर ही जायेगा एक दिन
ऐसे इश्क में तुम ही बताओ अब क्या रखा है
सच्ची बातों को जानों और भूल जाओ ना अब उसको
नही तुम ही बताओ खुदको को भूल जाने मे क्या रखा है
इश्क़ इश्क करते हो इश्क को समझोना ऐ दोस्त
अगर समझते तो तुम ही बताओ इस इश्क़ में क्या रखा है
वो भी तुम्हे इश्क करे और वो भी तुमसे ज्यादा करे
ये कैसा मजाक है"नि:श्ब्द"और ऐसे मजाक में क्या रखा है
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किसी का चुप रहना दिल में कुछ यूं चुभ रहा है,जैसे की रात होते ही घर का दिया बुझ रहा है
मशरूफ है सभी अपनी अपनी जिन्दगी में, जो कहते थे तू रो रहा और दिल हमारा जल रहा है-
किसी के साथ रह कर भी तन्हा महसूस करना
खुदको को भूल जाना और किसी को याद करना
के मौसम में बस बहारे हो ये कहना अच्छा नही
जैसे अच्छा नही किसी को इश्क़ में इरसाद करना
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तुम्हे अब कैसे बताए के अब हम आवारगी नहीं करते
ऐसा की तुमसे मिलने के बाद किसी को याद नहीं करते
जब से पता चला है हमे उस लड़की को शायरी पसन्द है
तब से हम ऐ दोस्त किसी से सीधे लहजे में बात नही करते
उसका हंसना भी दिल को समंदर कर गया एक दिन
ऐसा मानो के अब किसी से अपने दिल की बात नही करते
देखा था एक दिन उसको चांदनी रात में हंसते हुए
तब से हम चांदनी रात में किसी और शक्श को याद नही करते
वो भी खुश रहे और मैं भी बस जिंदा राहू "नि:शब्द"
यही सोच के हम कभी उससे दिल की बात नही करते
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क्या हुआ , दिल-ऐ-धोका बेकार हुआ
क्यों पहली बार हुआ ,और इतना असरदार हुआ
ये क्या तुम भी रोते हो क्या इन्हीं सब बातों से
ऐसा क्यों लगता है दर्द तुम्हे भी इस बार हुआ-
दिन अपने आखरी कोई गुजारता है कैसे
ऐसे रोता हैं फिर कोई सबको हंसता है कैसे
उसका दर्द कोई तो समझे यहां दोस्त
अगले महीने रूकसती है ऐसे में कोई आंसू छुपाता है कैसे
दस्तूर है ये दिल का ये दिल के ही काम न आता
ऐसे में दिल में इतनी तस्ली से कोई बस्ता है कैसे
तुम्हारे बाद ये सफ़र तक सफर सा नही लगता
ऐसे सफर में कोई खुदको संभालता है कैसे
मेरी दुआं है तुम्हे सब अपने जैसे सच्चे दिल के नसीब हो
आखिर आशिक़ कोई ऐसी दुआं मांगता है कैसे
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इक तरफा ही सही एक दफा प्यार करो
फिर जनों ज़िंदगी में क्यों ना प्यार करो
फरक पड़ता है क्या किसी के चले जाने से
नही पड़ता, तो सही मे एक दफा प्यार करो
मेरी मानो जमाने में सब नही मिल जाता यूंही
अगर उसको पाना है तो फिर उसे प्यार करो
किसी ने कितना कहा और तुमने कितना सुना
सब सुना, मेरी मानो तुम एक दफा प्यार करो
मरते हो रोज मर जाने के डर से धीरे - धीरे
एक बार में मरना है तो चलो प्यार करो
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मैं प्यासा हूं नहीं बस बताया जा रहा हूं
कुछ लोगों के दिखाएं हुए ख्वाब दबाए जा रहा हूं
अब सब्र कर अब कहां है वो यहां
न जाने कैसे-कैसे इल्जाम उठाए जा रहा हूं
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