Kamran Zafar  
6.8k Followers · 1.8k Following

read more
Joined 21 February 2020


read more
Joined 21 February 2020
2 JUN AT 23:39

आज खोले हैं मैंने किवाड़ मेरे कमरे में धूल जमी देखी
जैसे बरसों से हैं इंतज़ार में किसी चीज़ की कमी देखी

ज़फ़र घुटन बाकी हैं उसमें बहुत सांसें बेचैन होने लगी
अलमारी में रखी क़िताब पर नज़रे फ़िर भी थमी देखी

-


11 MAR AT 21:26

अब चाहें दुनिया हों मेरे कदमों में मुझे शाद नहीं होना
मुझसे पूछे कोई तो हाल कह दूं मुझे बर्बाद नहीं होना

-


20 FEB AT 21:05

मेरा जाना तुम्हें गर सुकून दें फिर में कैसा यहां खड़ा रहूं
बात मोहब्बत की हैं यार ये मोल भाव नहीं कि अड़ा रहूं

-


20 FEB AT 12:05

इक मोड़ आगे वीरानियों का वहां से सबको गुजरना हैं
कल तू भी होगा तन्हां वहां मेरा तो ये सोचकर मरना हैं

-


9 FEB AT 0:33

गर आख़िरी सलाम पर सब ख़त्म हों जाए तो कर देना
ख़्वाहिश हैं दर्द तुम्हारें जाने का ये बस ज़िंदगीभर देना

-


8 FEB AT 22:33

इक मुसाफ़िरखाने सी दास्तां मैं आबाद कभी वीरान सी
कभी रहती चहल पहल और कभी पलभर में बेज़ान सी

-


4 FEB AT 12:15

ये सबकुछ मिला भी तो ऐसे कि कुछ भी ना मेरा हुआ
था चराग़ों से सौदा मेरा फ़िर भी ताउम्र ना सवेरा हुआ

-


17 NOV 2024 AT 0:31

मुझे मायूस करके जो इक रक़ीब की महफ़िलें सजाएं
ऐसे यार से बेहतर कोई हादसा हों और मौत आ जाएं

-


22 OCT 2024 AT 16:38

यहां जेब खाली हों तो फ़िर साएं भी रक़ीब नज़र आए
देख के बिखरती दुनिया अपनी कैसे न आंख भर आए

ज़फ़र हाथ छोड़ जाते हैं बीच राह जो हमसफ़र होते हैं
हालात-ए-हाल ये नहीं रहती कि लौटकर यार घर आए

-


6 OCT 2024 AT 15:43

हम खोल देंगे दरवाज़ा ए दिल सुना तुम्हें रिहाई चाहिए
किस शोक में हों डूबे तुम बता किस मर्ज़ दवाई चाहिए

ज़फ़र सोचा हैं कि तुम्हारी हर ख्वाहिश को पूरा करुगा
तुम बे-झिझक कान में कह दो हमसे गर जुदाई चाहिए

-


Fetching Kamran Zafar Quotes