पापा,आपके जाने के बाद
मैंने सब कुछ बदलते देखा है
घर को बिखरते देखा है
अक्सर रातों में माँ को रोते देखा है
भाई को अकेले लड़ते देखा है
छोटू को संभलते देखा है
ख़ुद को टूटते देखा है
ख़्वाहिशो को मरते देखा है
कम पैसों में घर को चलते देखा है
अपनों को बदलते देखा है
हर रोज आपके ना होने की
कमी को खलते देखा है
खुशियों को नज़र लगते देखा है
पापा आपके जाने के बाद
मैंने सब कुछ बदलते देखा है....-
ख़ुद से ख़ुद को लिखती कोई क़िताब हूँ!!
ये कैसी यारी है तेरी मेरी मुझे खुद को
याद दिलाने के लिए तुमसे दूर जाना पड़ता है!!
-
हम इंसान हैं, फिर भी इंसानियत को भूलते जा रहे हैं, धर्म मजहब बस एक खुदा की देन है, हम तो फालतू में ही फर्क किए जा रहे हैं, हिंदू मुसलमानों के नाम पर रोज ही इस देश में दंगे फसाद किए जा रहे हैं, बुराइयों को खत्म करने की जगह, नफरतों को जन्म दिए जा रहे हैं, गीता और कुरान दोनों ही पवित्र हैं अपनी जगह, इसको पढ़ने के बाद भी लोग, हिंदू और मुसलमानों के नाम को बदनाम किए जा रहे हैं!
-
होते हैं कुछ पुरुष
जिनको नहीं लुभाता
दैहिक आकर्षण
वह बस ढूंढते हैं
प्रेमिका के हृदय में
अपनी स्मृतियों को
हां वो पुरुष जो
महंगे उपहार के
लेनदेन को प्रेम
नहीं समझते हैं
जो जीना चाहते हैं
अपने प्रेम को
अनंतकाल तक
हो सके तो सहेज लेना ऐसे पुरुषों को।।-
कभी ख्यालों से डर लगता है
तो कभी उलझे हुए सवालों से डर लगता है।
जो बरसों पहले बीत गया
उस पर हुए बवालों से डर लगता है ।
घर की गुमसुम दीवालों से डर लगता है
तो कभी अपनों से डर लगता है।-
महज़ एक किरदार थे ज़िन्दगी का उनकी
मालिकाना हक रखता है ज़िन्दगी में कोई और उनकी!!-
तुम चाय में पड़ी उस शक्कर की तरह हो
जो रह रहकर अपनी मिठास छोड़ जाता है!!-
शहरों की सड़कों को कुछ दिन सुनसान ही रहने दो
इंसान को इंसान से खतरा है इसलिए उसे घर में ही कैद रहने दो!!-