Kamna Janghela   (@kamnawrites)
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Joined 29 June 2018


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27 FEB AT 22:51

कुछ तो कहानियां हम जानबूझकर अधूरी छोड़ देते हैं,
हर बार वजह,"लोग क्या कहेंगे" नहीं होती...✍🏻

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25 FEB AT 20:30

हाँ मैंने, उसे, अपना देखा था
ख़ुशी के मारे आँखें भर आईं
क्या हुआ जो मैंने
बस सपना देखा था…✍🏻

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29 JAN AT 23:27

अक्सर रात की ख़ामोशी, तन्हाई, और गहराई में
खोजती हूँ ख़ुद को मैं…
दूर झिलमिलाते तारों, चाँद, और आकाशगंगाओं में
ढूँढती हूँ ख़ुद को मैं…✍🏻

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29 JAN AT 23:23

अहसासों का
मिलते-जुलते हालातों का
आते-जाते जज़्बातों का
हर कोई ढूँढ रहा कोई सुनने वाला
पर कोई सुनने वाला नहीं यहाँ…✍🏻

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29 JAN AT 23:18

You.
It ends with
You.
Because all I have is
“You”…✍🏻

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27 AUG 2024 AT 20:49

ये जाना है हमने,
इश्क़ का मक़सद
साथ निभाना नहीं होता...

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19 MAY 2024 AT 21:13

Not a weakness.
It's a power that not
Everyone can master!

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15 MAY 2024 AT 16:34

सहेज कर रखी हैं मैंने!
अब भी पढ़ती हूॅं उन्हें
जब सबके होते हुए भी
खुद को तन्हा और
बेबस पाती हूॅं!
जब लगता है कि बस,
अब कोई नहीं समझेगा मुझे...
तेरी लिखी कहानियां, हाॅं
अब भी पढ़ती हूॅं मैं,
दिल के किसी कोने में
सहेज कर रखा है जिन्हें...!

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9 MAR 2024 AT 16:18

बड़ी दूर तक जा पहुंचे हम
अपना तो कोई मिला नहीं
ख़ुद को ही खो बैठे हम...✍🏻

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22 JAN 2024 AT 1:49

परमार्थ के लिए, स्वार्थ त्याग, जिन्होंने आजीवन कष्ट उठाये हैं।
शत्रु को भी नमन करें,वो युगों में एक हो पाए हैं।
पितृ वचन को पूरा करने, जिन्होंने हंसकर वनवास बिताया है।
आदर्शों की वेदी पर जिन्होंने, वैदेही से विरह निभाया है।
इस सब के गुणा-भाग से, बस एक सार निकल कर आया है,
कोटि जतन कर लो मगर कोई, ऐसे ही नहीं राम बन पाया है,
ऐसे ही नहीं राम बन पाया है...🙏🏻

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