Kamlesh Soni   (✍️ कमलेश सोनी)
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भक्ति में बालक👦, ज्ञान में वृद्ध 👴 और कर्म में युवा 👳 बनों...!
कवि❣️लेखक ✍🏻
Joined 9 December 2018


भक्ति में बालक👦, ज्ञान में वृद्ध 👴 और कर्म में युवा 👳 बनों...!
कवि❣️लेखक ✍🏻
Joined 9 December 2018
18 MAY AT 11:48

ऑपरेशन सिंदूर
दगा बाज़  शहबाज  के रहे जो हवा बाज
 ऐसी निकली हवा की पाद पादने लगे  ।।

तना तनी बीच सनातनी का वो शौर्य देख
  सफाचट्ट मूंछों के वो बाप  काँपने लगे ।।

अण्ड बण्ड बोल के भुजदण्ड जोहिला रहेथे 
  फूटा पाखण्ड तो  मुचण्ड  हाँफने लगे।।

चार दिन में ही मियाँ गधों का कबाब छोड़
   मलीहाबादी आम का अचार चाँटने लगे ।।

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17 AUG 2023 AT 6:27

भारतीय राजनीति के पुरोधापुण्य तिथि पर शब्दांजलि

अटल जी अटल थे अटल ही रहे हो सदा
अटल का अटल ब्रत आयु पर्यंत था ।।
सदीके नायक अधिनायक महानायक आप
लायक नालायक भी झुकता तुरंत था ।।
अटल अनादि ज्यों अनंत का ना आदिअन्त
अम्बर अवनि का अनुबंधित सन्त था ।।
पक्ष प्रतिपक्ष के प्रत्यक्ष आप कल्पवृक्ष
कमलेश शेष में विशेष तू बसन्त था ।।

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4 AUG 2023 AT 6:49

मुंशी प्रेमचंद जी को श्रद्धांजलि

मुंशी प्रेमचंद की कहानियां तो हैं अनन्त
लगतीं हैं यूँ सजीव जैसे जीवधारी हैं ।।
निर्मल मन की वो निर्मला हो बुधिया हो
कफ़न बिना वो मरी रोईं उम्र सारी है ।।
हामिद का चिमटा भी शेरेहिन्द लगता है
झूरी के हीरामोती की जोड़ी बड़ी न्यारी है ।।
बुढ़ऊ का लड़का दवाई विन मर जाता
मन्त्रों से ही कैलाश पाता उम्र,भारी है।।
कमलेश जिंदगी में जिंदगी को लिखो लेख
पर प्रेमचन्द जी पे चंद्रगति वारी है ।।

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23 JUL 2023 AT 7:57

बुढ़ापा बड़ा कठिन दौव्वा ,,,,,,,,,,,,,,2

घरै मा भारु भेन जैसे, पहिले का पनसौव्वा
बुढ़ापा बड़ा कठिन दौव्वा,,,,,,,,2
बार पाकिगे खोड़हा भा मुंह आँखिन नहीं सुझाय
झौव्वा भरि अगछी कमरा मा, गोरु तक गुर्रांय
बर्र बर्र बर्राय बुढ़ेवा, औरू पियव पौव्वा
बुढ़ापा बड़ा कठिन दौव्वा
कटय मसूढ़न ते ना रोटी बोटी कांपी जाय
पानी तेने कौरु नघाई तबौ ना पेटु अघाय
ढोलकी तना रहैपेटु पचकिगा अइसघुसा हौव्वा,
बुढ़ापा बड़ा कठिन दौव्व
हियां ना बइठौ हुवां उठौ ना वहिते ना बतलाव
बहुरेवा नर्राय बुढ़उनू ठूँसि ठूँसि ना खाव
ताना दइ दइ मारे डारय, नक फुसरे बौव्वा
बुढ़ापा बड़ा कठिन दौव्वा

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22 JUL 2023 AT 8:24

विपक्ष की एकजुटता

पूंछे कमलेश देश के विपक्ष से विशेष
कुर्शियों के लिए काहे लालपीले हो रहे।।
अफजल वा कसाब को कहें जो जिंदाबाद
साथी उनको बना के आप गीले हो रहे।।
इंशा अल्ला टुकड़े करेंगें मिला मौका यदि
जिन्ना वाले जिन्न से भी जहरीले हो रहे।।
वाहन लक्ष्मी के खुद शरम शरमा रही है
बेशरम एक जुट जो कबीले हो रहे।।

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8 JUL 2023 AT 5:00

संस्कार
घर मा बूढबाढ़ का समझेव जो मन्दिर के देवता
दूर भगी दुर्भाग्य औरू सौभाग्य करी समझौता
बरगद के बिरवा की छाया , घर मा अम्मा बप्पा
अत्तव दुःखीअगर ई होइगे दण्डमिलै कुदरत का
बरगद नीम शमी औ पीपल करै जो इनकी सेवा
दीन दुःखी असहाय की सेवा औरू करै गौ सेवा
चौरासी का चक्कर वहिका कुछ बिगाड़ ना पाई
लक्ष्मी के संग लक्मी पति कमलेश करै पहुनाई
कवि कमलेश सोनी संडीला

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8 JUL 2023 AT 4:57

संस्कार
घर मा बूढबाढ़ का समझेव जो मन्दिर के देवता
दूर भगी दुर्भाग्य औरू सौभाग्य करी समझौता
बरगद के बिरवा की छाया , घर मा अम्मा बप्पा
अत्तव दुःखीअगर ई होइगे दण्डमिलै कुदरत का
बरगद नीम शमी औ पीपल करै जो इनकी सेवा
दीन दुःखी असहाय की सेवा औरू करै गौ सेवा
चौरासी का चक्कर वहिका कुछ बिगाड़ ना पाई
लक्ष्मी के संग लक्मी पति कमलेश करै पहुनाई
कवि कमलेश सोनी संडीला
— % &संस्कार
घर मा बूढबाढ़ का समझेव जो मन्दिर के देवता
दूर भगी दुर्भाग्य औरू सौभाग्य करी समझौता
बरगद के बिरवा की छाया , घर मा अम्मा बप्पा
अत्तव दुःखीअगर ई होइगे दण्डमिलै कुदरत का
बरगद नीम शमी औ पीपल करै जो इनकी सेवा
दीन दुःखी असहाय की सेवा औरू करै गौ सेवा
चौरासी का चक्कर वहिका कुछ बिगाड़ ना पाई
लक्ष्मी के संग लक्मी पति कमलेश करै पहुनाई
कवि कमलेश सोनी संडीला
— % &

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7 JUL 2023 AT 8:36

माँ
बात है विचित्र पर हर चित्र से पवित्र
मित्र दुनिया के हर भार से गरू है माँ।।
आदिऔ अनादि के भी आदि औ अनादि मत
पाते हैं ना आदि अंत आदि से शुरूहै माँ।।
गुरु पूर्णिमा की संधि गुरू,पूर्ण,मां, है मित्र
पूर्ण या अपूर्ण सम्पूर्ण रूबरू है माँ।।
शब्द ना समर्थ व्यर्थ का विवाद कमलेश
आदि गुरुदेव के गुरु की भी गुरू है माँ।।

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4 JUL 2023 AT 10:34

बातचीतअमोघअस्त्र
बातचीत कभी भी न किसी से खराब करो
बातचीत से ही बनते हैं आप आदमी।।
आदमी की बातचीत से ही एक आदमी को
होता अहसास ये नही है आम आदमी ।।
आदमी से आदमी जब करता है बातचीत
बातचीत बता देती नाप नाप आदमी ।।
कमलेश बातचीत से बलाएँ टलतीं हैं
बातचीत से ही बन जाता बाप आदमी ।।

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3 JUL 2023 AT 7:29

मित्रता का सन्देश ((शान्त भाव))
हाव भाव ताव को बहाव में बहा रहे हो
या कि बहे जा रहे हो हाव भाव ताव में ।।
ताव खाए जा रहे हो भाव नहीं दे रहे हो
पूंछते ही जा रहे हो कौन किस भाव में।।
भाव के अभाव में प्रभाव का भी गिरेभाव
भावना भी बहती है भाव के बहाव में ।।
कमलेश भाव से स्वभाव को ही देते भाव
दुरभावनाओं को बहाते शान्त भाव में ।।




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