न जाने सालों बाद कैसा समां होगा,
हम सब दोस्तों में से कौन कहा होगा…!
फिर अगर मिलना होगा तो मिलेंगे ख्वाबों मे, जैसे सूखे गुलाब मिलते है किताबों मे….!!
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एक शोर है मुझमें ज... read more
इस तरह देखता रहा
बहती हुई नदी को
जैसे तुम्हें देखता हूँ!
मैं रेगिस्तान का आदमी
और किस तरह देखता
बहती हुई नदी को!!-
आलम ए मोहब्बत
कुछ इस कदर है
अब हमारे दरमियान की मिलते तो रोज़ है
पर एक दूसरे की डीपी से...-
कुछ तो पता चले
तुम दर्द हो,दवा हो ??कुछ तो पता चले..
किस बात पर खफा हो,कुछ तो पता चले..
कैसे भला जानू क्या हाल है तुम्हारा कुछ तो पता चले..
आओ, मिलो, बताओ, कुछ तो पता चले।-
हमसे मोहब्बत करने वाले
रोते ही रह जाएंगे
हम जो किसी दिन सोए
सोते ही रह जाएंगे-
बेशरम हो गई है ये ख्वाहिशें मेरी,
मै अब बिना बहाने के
तुम्हे याद करने लगा हूं।-
अमीर नहीं हे साहब...ज़मीर ही ऐसा रखते हे..जिसकी कोई बोली नहीं लगा सकता..!!
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तुझसे ज़्यादा इज्ज़त मैं "तवायफों" की करता हूँ l
वो एक रात तो किसी से "वफ़ादारी" करती हैं ll-
मंजिल पहुंची राही के पास,
राही बना मुसाफिर,
ठग पहुंचा लुटेरे के पास,
लुटेरा लूटा फिर,
दोस्ती पहुंची दिल के पास
दोस्त बना आशिक़ फिर,
नफरत पहुंची मोहब्बत के पास,
दिल टूटा फिर..,-