इत्र लगाना छोड़ दिया हमने,
जबसे तेरे बालों की ख़ुश्बू मेरे ज़िस्म में आई है।।
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यहाँ हम सब कुछ हार बैठे है , उसके झुमके और माथे में लगी काली बिंदी पर
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तुझे हजार बार देख कर भी दिल नई भरता, हर बार दिल यही कहता है कि एक बार और ।।
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तुम्हारे लिए तो मैंने यहाँ तक दुवाएँ कि, की मेरी तरह तुम्हे कोई चाहता हो
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अगर मोह्हबत सच्ची हो तो उसकी खुशी में ही आपको सुकून मिलेगा। उनके लिए कुछ लाइन
इंतजार रहेगा मुझे बस तुम्ही से प्यार रहेगा
वो तुम्हारा शर्माते हुए नजरों को झुका लेना
वो तुम्हारा बाये हाथ से बालों को पीछे ले जाना
तुम्हारे साथ बिताया हुआ हर लम्हा याद रहेगा मुझे
और हा इंतजार रहेगा मुझे बस तुमसे ही प्यार रहेगा मुझे।।।
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मत पूछो ये इश्क़ कैसा है, बस जो रुलाता है ना.....
उसी के गले लगकर रोने को जी चाहता है ।।-
बुज जाते है दिये तेल की कमी से भी हर बार कसूर हवाओ का नही होता।।
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आज फिर नजर आया वो चाँद जो छिपा था कही बदलो के पीछे लेकिन जैसे ही वो बदलो से निकला वो और भी खूबसूरत और निखरा हुआ था
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"दो दिन मास्क लगाने में घुटन होने लगा उसे , जो औरतो को सारी उम्र घूघट में रखना चाहता था"
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"प्यार…
मुहब्बत…
इश्क़…
तीनो अलग-अलग चीज़ें हैं, जिनमे अक्सर हम फ़र्क़ नही कर पाते…
- “प्यार” वो जो हर प्यारी चीज़ से हो जाता है,
- “मुहब्बत” वो जो एक फ़र्द से होती है और बदले में इज़हार भी चाहती है,
- “इश्क़” दर्द से ठहराओ तक का सफर है, बस चाहना और चाहते ही चले जाना इश्क़ है "-