ख्वाबों की बस्ती में नहीं किसी का पहरा हैं
घूम आऊ अम्बर सारा कहा फिर ,पंखों की जरुरत है
2G,3G जैसा करु कुछ चारा घोटाला
खुद ही करू पैरवी या उड़न छू हो जाऊं माल्या जैसा
देख बेहाली को, करू दान रतन टाटा जैसा
नोटों संग खेलूं, रहीस हो जाऊं अम्बानी जैसा
देश की रक्षा के खातिर
दुश्मनों के ही पार्लियामेंट ,देशी जैसा या एटमबम रख आऊ
-