यदि कोई व्यक्ति आप पर विश्वास पूर्वक कोई वस्तु, कार्य या जिम्मेदारी सौंपता है,तो आपका कर्तव्य बनता है उनके विश्वास को बनाए रखना।
कामिनी राणा-
खुदगर्ज़ी के दौर में कौन किसका हुआ है, जिसका जब मतलब बना वो तब अपना हुआ है।
कामिनी राणा-
सलीका
डरती थी कल जिस भीड़ से आज उसी भीड़ का हिस्सा हो गई,एक लड़की ज़िंदगी जीने का सलीका सीख गई ।
जो रहती थी कभी मां का आंचल पकड़े,आज अकेले रहना सीख गई,एक लड़की ज़िंदगी जीने का सलीका सीख गई।
जो डरती थी कभी ‘अंधेरे ’ से, आज उसी से दोस्ती कर
गई,एक लड़की ज़िंदगी जीने का सलीका सीख गई।
जिसे किसी की परवाह न थी, अब वो परवाह करना सीख गई,एक लड़की ज़िंदगी जीने का सलीका सीख गई।
ख्वाबों की दुनिया छोड़, अब ‘हकीकत’ से वाकिफ हो
गई,एक लड़की ज़िंदगी जीने का सलीका सीख गई।
कामिनी राणा।
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चेहरे की हँसी से तो सब हाल जान लेते हैं,बस शख़्स
ऐसा तराशो जो हँसी के पीछे का दुःख पढ़ सके।
कामिनी राणा-
दोस्ती
वक़्त आने पर सब बिछड़ जायेंगे ए दोस्त
हो सके तो यादों के मोती संजोये रखना।
कामिनी राणा
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ज़िंदगी ख़फा सी होने लगी है, लगता है
कई यार जिंदगी से दफा होने लगे हैं।
कामिनी राणा-
ना शिकवा किसी से,ना किसी से तकरार है
बस अब जिंदगी मैं,अकेले चलने का इरादा है।
कामिनी राणा-
कभी देखना किसी बेजूबान पशु से, बात करके
आपको महोब्बत का खूबसूरत एहसास हो जाएगा।
कामिनी राणा
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अपना दुःख अपने आँसू सबसे छुपाये रखते हैं
मैंने देखा है एक लाचार पिता को,कि वो अकेले में कितना रोते हैं।
कामिनी राणा
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