Kamesh Bhorjare   (Kamesh)
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लिख दु कुछ अलफाज अगर खुद की तारीफ मे
कल इंतेकाल पे मेरे फसाने कोन सुनायेगा
Joined 1 July 2017


लिख दु कुछ अलफाज अगर खुद की तारीफ मे
कल इंतेकाल पे मेरे फसाने कोन सुनायेगा
Joined 1 July 2017
9 JUL AT 9:27

सून मुसाफिर आ देख गई तेरी मंजिल
इस सुकून की ख्वाहिश थी ना बरसो से

दूर कही हो बसेरा और ऐसा उजला सवेरा
वो शेहर वो शोर गुल ना आयेगा याद कभी

बस यही बस जाने की ख्वाहिश मे
कोई खरिदार ना धुढना तेरे पुराने मकान का

पितरो ने तेरे ऐसे ही घर बसाया था
जहाँ मेरे पुरखो का कभी घर हुवा करता था

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14 JUL 2024 AT 20:36

ज़ो मिल जाता अवसर मुझे मेरी पटकथा लिखने का
तो मै उसमे तुम्हारा किरदार कुछ खास लिख देता |

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14 JUL 2024 AT 9:11

सब्र मांग कर मैंने तुझसे पीर की जुदाई मांग ली
नशा ज़ो उतरा शहर ए खामोश मे पाया खुद को

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2 MAY 2024 AT 20:45

कुछ सम्मान सहुलीयतो मे खरीदे जाते ऊचे दामो पर
चंद किरदारो की निलामी मे रसूकदार लोग नहीं जाते

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27 APR 2024 AT 23:28

आज वाचले पाढे सर्व आप्तव्यस्काचे
ऋणानुबंध जपले आहे थोडे ऋण फेडण्याचे.

बंधा च्या बेरीजा अन वजाबाक्या बंधा च्या
सर्वच उणे जीर्ण अन जुने नाते मना मनाचे

ऋण कसली शोधता कुणी कुणास काय दिले
असली तर भाग दे नसली तरी कर त्याले गुणे

नात्याच्या या गणिताची आहे खोल खोल दरी
सर्व सूत्र पाठ त्याचे ऐसे मोल कोन करी

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27 APR 2024 AT 20:15

मुझे देख न अनजाने मे अपने शौक बदल बंदे
"हैसियत"हू मै फटी जेब भी कर्जदार हैं मेरी

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25 APR 2024 AT 22:20

मै कौन हू आज मुझे यही सवाल हैं
धुंडने निकलू जवाब फिर एक बवाल हैं

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6 JAN 2024 AT 18:34


वृतपत्राच्या गर्दीत सारे मुद्दे हरवले
बातम्याचे पान आता जाहिरातीनी रंगवले

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30 DEC 2023 AT 8:55

फितरत यहा सभी बेईमान लिये बैठे हैं
मै बदनाम हू क्यू की मेरा नाम शराब हैं

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29 DEC 2023 AT 9:01

ज़ो ना केह दु तो गुनाहगार मुझसा ना होगा
ज़ो हा केह दु तो फारिश्ता मुझ सा नही

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