आज घर लौटते वक्त कुछ मुसकानें मिली थी आँखों में चमक लेकर, सीना ताने मिली थी हमारी हंसी को थी नाराज़गी, कि वो उसको हमसे चुराने मिली थी। मगर वो तो हमको पता है, कि वो हमे हंसी से मिलाने मिली थी।
हज़ारों बार रोका है खुद को, लाखों बार टोका है खुद को, मगर तुझे देखते ही, हम खुदसे बेवफ़ा हो जाते हैं। तुमहारी खुशी है सर-आँखों पर, बेशक हम खुद खफ़ा हो जाते हैं।
कैसे कहें कि तुमसे, इश्क मोहब्बत प्यार काफ़ी है। इज़हार, इकरार, इनकार छोड़ो बस दीदार काफ़ी है। तुम लौट आओ फिर भी हम ना मिलेंगे, कि हमने कीया इंतज़ार काफ़ी है।