जो बेच चुके ज़मीर को,
वो क्या आवाज उठाएंगे,
जो हो गए जीते जी दफ़न,
वो क्या आवाज उठाएंगे,
होगा कभी उनका भी सामना सच से,
वो उस दिन बेशक आवाज उठाएंगे,-
लिए है गर्म चाय के प्याले हाथो में,
और पुराने किस्सों से उन्हें ठंडा कर रहे है,-
ज़िन्दगी की भाग दौड़ में गुम हो जायेंगे,
एक दिन हम भी शांत सो जायेंगे,
फिर कोई अलार्म,या फ़ोन नही करेगा हमें,
हम जब उसके घर चले जायेंगे,
#mera_aaiyna-
फिर न तुझ पे कोई सवाल उठा,
हम पर फिर एक बवाल उठा,
जिस सवाल का जवाब थी तुम,
उस सवाल फिर कत्ले आम उठा,-
मेरे कमरे के हर दरक ने सुनी है आह मेरी,
बिस्तर पे भीगी चादरों ने भी जानी आह मेरी,
जिसे माना मैंने हमनवां अपना,
उसे क्यों न सुनाई दी वो आह मेरी,
ख़्वाब तो दोनों ने देखा था साथ में,
फिर उसने क्यों ना जानी आह मेरी,-
वो अनसुलझे सवालों के जवाब में ज़िन्दगी गुज़र गयी,
हम जिसे समझते रहे उल्फ़त ,वो अलग राह में गुज़र गयी,
एक रोज जब मुलाकात हुई उनसे तो जाना हमनें,
वो तो महज ख़्वाब था, सुबह क्या हुई वो भी गुज़र गयी,-
टिकी है मौहल्ले की नज़र वही पर,
बस तुम अभी चाँद की नुमाइश न करना,
क्योंकि तखातुब करेंगे लोग खूबसूरती का,
बस तुम अभी उनसे सुखान न करना,-
गर्दिशों मैं चल रहे थे दिन मेरे,
और फिर अपने आये ,
हाल पूछने से पहले,
खुद की मतलब की बात की,-
इश्क़ में हो और इश्क़ न हो,
ऐसा हो सकता है क्या,
तुम आओ मेरे सामने,
और पलके न झपके ,
ऐसा हो सकता है क्या,
वक़्त से मियाद न लूं मैं,
ऐसा हो सकता है क्या,
तुम सुकून हो मेरे पहर का,
बयां कर पाऊ तुम्हें नज़्मों में
ऐसा हो सकता है क्या,
पतवार थामी हो जब तुमने मेरी,
और ख्वाइश हो मुझे किनारे की,
ऐसा हो सकता है क्या ,-
यहाँ भी तो सब जल रहा था,
और राख हो रहा था, वो शख्स,
जो तुझे देख कर कहता था,
ये मेरी ज़िंदगी है,ध्यान रखना-