Kamal Narayan Thakur   (कमल नारायण ठाकुर ✍)
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Just a poet.
Joined 5 November 2017


Just a poet.
Joined 5 November 2017
28 SEP 2022 AT 11:30

दिल करता है तुम्हे ख़ुद के बहुत क़रीब खींच लूं,
जो यूं बिछड़ने का जो ग़म सिखाया हैं दिखा दूं,
सोचता हुं जिनके कारण हम बिछड़े हैं उन्हें जम के लताडू,
ज़रा खोल के आंखें देखना सनम, आस पास हैं कोई बाजारू।

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10 MAR 2018 AT 17:00

यू तो आसान नहीं होता अपनी मोहब्बत से दूर हो जाना,
उनके ख्वाबों को अपना बताना,
डर इस बात से कि जमाना कहीं।
डर इस बात से कि जमाना कहीं,
कातिल ना समझ ले हमें उनके ख्वाब का ,
यू तो आसान नहीं होता अपनी मोहब्बत से रूठ जाना ।

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20 JUN 2021 AT 21:00

असमंजस में लिए हुए कदम की और चलना

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29 APR 2021 AT 6:37

कुछ खोया है तूने, कुछ गैर कुछ अपने में किस के साथ वक्त बिताऊंगा
अब टूट सा गया है सब और सब्र का एहसास मैं साथ ले जाऊंगा,
यू तो एक दरिए के किनारे पर सब को एक दिन मिल ही जाऊंगा,
में थोड़ा वक्त इस रास्ते को इसकी खामियां बताते आऊंगा,
एक पत्थर देना मुझे में इसे भी दर्द का एहसास दिला आऊंगा।

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12 APR 2021 AT 16:08

जब भी तू इस अंधेरे के बीच खोएगा मुझे देख सहम जायेगा,
सोचेगा खुद से मुझे ढूंढेगा, पकड़ना चाहेगा रौंदना चाहेगा,
में बस खोया रहूंगा और तेरे आस पास भटकता रहूंगा,
तू सोचती रहे जायेगी की ये क्या है कोई साया या माया,
और में तेरे तन मन में ठहर के एक हसी पल बन जाऊंगा ।

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2 FEB 2021 AT 22:31

एक पल दूर हो तुम,
एक पल में ओझल

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1 FEB 2021 AT 23:41

एक रास्ता है तेरे और मेरे होने के दरमियान सुना सा हो रहा सब,
और उस मोड़ पर खड़े है जहा सिर्फ तू ही तू है और मेरे दरमियान भी तू है

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1 FEB 2021 AT 21:27

तू आज भी जब मेरे दिल मे धड़कती है,
ये सोच मेरे चेहरे की मुस्कान भी रोती हैं।

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21 JAN 2021 AT 23:24

हाल ए दिल पर थोड़ा सा तो तरस आए, और किया भी क्या जाए
जिस उम्र में हाथो में हाथ होने चाहिए, ठोकर और तजुर्बे हाथ आए।

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16 JAN 2021 AT 19:54

हिन्द की मिट्टी बटी भी तो किस पेहर,
सौदागर बदल कर आए है भेस
एक आए और कर गए हिन्द को खाली,
कहते है राष्ट्रवादी, हाथ में लिए तलवार
वो तो खुद अपने जमीर बेच आए,
जो कहते है, हम तो फकीर है।

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