दिल्लगी करते नही,
ये बेबाक-बेशर्म अपने आप हो ही जाती है
लोगों का तो जनाजा उठता ही रहेगा
जब तक इस दिल्लगी जनाजा नही उठता-
आपको सूचित किया जाता है
कि
मुझे Follow करके Unfollow ना करें
नहीं त... read more
किसके आगे मैं रोऊं ,
और किसके आगे मैं ,
हांथ फैलाऊं ।
किसके आगे मैं ,
मांगू प्यार की भीख ,
जो तेरे से बात करा दे ।
जो जनता मैं बस दर्द मिलेगा
कसम से ,प्यार हम ना करते
मर जाते ऐसे ही हम bebu
तेरे आगे हम कभी ना रोते ।
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याद आती रही; रात भर बस तेरी,
और शब्द भी तीखे वे आते रहे ।
जो सुनाया था; दिन में मुझे ए प्रिये,
रात भर बस मुझे; वे रुलाते रहे ।
चैन से सो गईं; ये सनम तुम मेरी,
हम तुझी पे विरह गीत गाते रहे ।
नींद आई नही; रात भर दोस्तों,
बस सिसकते - सिसकते सुबह हो गई।
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तेरा रुमाल मेरा कट्टर दुश्मन,
जो हरदम छूता तेरा चेहरा।
सबसे ज्यादा बैरी लागे,
ससुरा रोज जलाए जियरा
कभी जो हाथों को छूता तो,
कभी है गालों को सहलाता
बड़ी सरलता से होठों का,
सारा रस ओ ही ले जाता।-
अपने शहर में उसको मेरे संग घूमना ,
शायद insult feel कराता होगा ।
इसीलिए तो वह मुझे हजारों कसमें देकर,
अपने शहर में आने को मना कर देती है।-
मैं उसकी आज़ादी का हत्यारा बन रहा हूं ,
साथ ही अपनी जिंदगी का बेसहारा बन रहा हूं ।
उस पगली को इतना तक पता नहीं,
कि हक और शक में कितना फर्क होता है ।
बस उसे तो मेरा प्यार टेंशन ,
और दोस्तो का दिया हुआ सहारा बन रहा है-
तन कहीं और था।
लेकिन मैं क्या करूं,
मेरे तन के ऊपर ,
मन बॉस बनके बैठा था ।
नहीं तो उसकी यादों में
अक्सर रोना ना आता।-
तन कहीं और था।
लेकिन मैं क्या करूं,
मेरे तन के ऊपर ,
मन बॉस बनके बैठा था ।
नहीं तो उसकी यादों में
अक्सर रोना ना आता।-
खुद बिज़ी रहकर,
मुझे बिज़ी रहने का दोष देती हो ।
खुद अपनी मर्जी से बात करके,
मुझे मेरी ही मर्जी का दोष देती हो ।
अरे जब चाहती हो तब मुझे ,
ब्लॉक या अनब्लॉक करती हो मेरी जान ,
तब भी मेरी मर्जी ही तुम दोष देती हो।-
हर बार थक जाता हूं
तुझे मानते-मानते,
पता नहीं किस बात पर तू खफा हो जाती है-