Kamal Kumar   (कमल कुमार सिंह)
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Story Writer
Joined 3 April 2021


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Joined 3 April 2021
17 MAY AT 14:58

"इंसान पहले बनो"

धर्म क्या है?
मंदिर–मस्जिद की दीवार या
भूखे को रोटी देने वाला हाथ?

जाति क्या है?
ऊँच-नीच का जाल या
सबको गले लगाने वाला दिल?

जब खून का रंग एक है,
जब मिट्टी सबकी एक है,
तो फिर ये नफरत किसके लिए?

ना तू ऊँचा, ना मैं नीचा —
इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है।

चलो नफरत की दीवारें गिराएँ,
और प्यार की ज़मीन बसाएँ।

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11 MAY AT 11:54

"नाम मत पूछो"
नाम में क्या रक्खा है

नाम मत पूछो मेरा क्या है,
नाम में क्या रक्खा है
मैं मंदिर गया तो हिंदू कहलाने लगा,
मस्जिद गया तो मुसलमान
चर्च गया तो मसीही बना
पर न बना एक इन्सान।

कभी दलित बना, कभी ब्राह्मण कहा,
कभी कोई मुझे काफिर समझा,
कभी किसी ने बंदा-ए-ख़ुदा कहा।
मैं तो बस आम इंसान हूँ,।

जो रोटी के लिए जूझता है,
दो बूंद पानी को तरसता है
रहने के लिए घर ढूंढता फिरता है
सुबह से शाम भटकता है
प्यार जीवन की तलाश में ।

न मेरी जाति से कोई बड़ा है
न तुम्हारे धर्म से कोई छोटा।
सबके आँसू खारे हैं,
सबके जख़्म लाल होते हैं।

तो आओ,
एक मुहब्बत का दीया जलाएँ,
नफरत की आंधियों को बुझाएँ।
क्योंकि जब दिल टूटते हैं,
कोई धर्म उनका दर्द नहीं सहता।

नाम मत पूछो नाम में क्या रखा है

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16 JUN 2024 AT 0:27

पापा कहते है......
पिता ने सोचा मेरा बच्चा बड़ा होकर कुछ बनेगा
आप सोचते रहे पर वो कुछ न बना..
वो नशे का आदि बनकर बाइक पर घूमता रहा
आप सोचते रहे पर वो कुछ ना बना...
बाप ने रिश्वत कमिशन खोरी से कमाया
बच्चे की पढाई मे दिन रात सर खपाया
किसी ने किसी से उधार लेकर पढाया
किसी ने मेहनत मजदूरी करके पढ़ाया
तो किसी ने घर जमीन बेच कर पढाया
आप सोचते रहे....
सोचा इंजीनियर डॉक्टर या वकील तो बनेगा
हमारे बुढ़ापे मे माँ बाप का सहारा बनेगा
पर ये क्या हुआ सभी सपने धरे रहे गए
पढ़ने की बजाय आत्महत्या कर गया
कुछ बनने से पहले ही थक कर मर गया
माँ बाप का सपना अधूरा का अधूरा रह गया
आप सोचते रह. ..
माँ बाप बेटा बेटी का भविष्य बनाने के लिए
पाठ पूजा मंदिरों का घंटा बजाते रहे
अब नन्ही जान खुदा से पूछने निकल लिया
उसकी क्या खता थी जो ऐसे माँ बाप मिले
पढाई के नाम पर मानसिक अत्याचार किया
अपनी जिद्द के आगे हमको मजबूर किया
पिता ने सोचा बेटा बड़ा होकर कुछ बनेगा
आप सोचते रहे पर वो कुछ न बना..

कमल कुमार 'आजाद'
16/06/2024














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22 MAR 2024 AT 0:13

मौसम के बदलते मिजाज का
कोई पता नहीं
कब कोन सा रंग दिखा जाए
ये उसको भी पता नहीं
गिरगिट की तरह रंग बदलना
इंसान की फितरत है
कब प्यार करे कब धोख़ा दे
दिमाक मे कब फितूर जाग जाए
ये इंसान को पता नहीं..
21/03/2024

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29 JAN 2024 AT 0:31

अंतिम सांस

माँ बाप चले गए सबको कहते राम राम
अपनो का असली चेहरा देख हुए हैरान
उन्हे नहीं मालूम था ऐसा रंग दिखायगे
अपने ही अपनो को बाहर का रास्ता दिखायगे ||

क्या कमी रह गयी लालन पालन मे
हर जिद पूरी की जबकि थे नाकाम
खूब कमाया लूटाया बिठाया सर पे
उन्हे नहीं मालूम था ऐसा रंग दिखायेंगे
अंतिम समय कोई नही बस यूही मर जाएंगे.||
29/01/2024

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19 JAN 2024 AT 10:47


मरने के बाद कोई वापिस नही आता
चाहे इंसान हो या देवता
प्राण निकलने के बाद सब मिट्टी
फिर मिट्टी मे प्राण क्यो फूकना
जो हो नही सकता
फिर लोगो को मूर्ख बनाकर धंधा क्यो l
मरने के बाद....
19/01/2024

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9 JAN 2024 AT 23:54


धन से बेशक गरीब रहना
पर दिल से रहो धनवान
झोपड़ी पर लिखा होता है सुस्वागतम
और महलो के बाहर कुत्तो से सावधान||

कुत्ते भी कोमा मे चले गए
क्या मस्त चाटता है तलवे इंसान..
गिद्ध भी कहीं चले गए
यह देख कर हमसे अच्छा नोचता है इंसान||

कोई टोपी तो कोई पगड़ी बेच देता है
भाव अच्छे मिले तो जज कुर्सी बेच देता है||
आत्महत्या कर ली गिरगिट ने
सुसाइड नोट छोड़कर
अब इंसान से ज्यादा रंग नही बदल सकता.. ////
08/01/2024

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2 JAN 2024 AT 23:29

माँ मै आ गया हू ..
माँ अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी है
ना सुन सकती है न बोल सकती है
देख कर भी कुछ कह नही सकती
काले अंधेर दुनिया मे गुम हो चुकी है
उम्मीद की किरण अब खो चुकी है
वो दुनिया को अलविदा कह चुकी ..
माँ मै आ गया हू...
जब वो बीमार थी
तब उसको इग्नोर करते रहे
वो पुकारती रही इंतज़ार मे रोती रही
अकेला छोड़ अपनी मस्ती मे डूबे रहे
बेटा बेटी पैसे का हिसाब करते रहे
कोन रखेगा उसका जुगाड़ हिसाब करते रहे
कही इन्फैक्ट न हो जाऊ बार बार हाथ धोते रहे...
माँ मै आ गया हू..
लेकिन वो अब घर मे नही है
दूर यात्रा पर निकल चुकी है
लौट कर आना अब असंभव है
खत्म कर गयी सबके गिले शिकवे
अब वो न वापस शक्ल दिखाएगी
उसकी यादों के सहारे बस जिंदगी खत्म हो जाएगी..
तुम चिल्लाते रहो चिल्लाते रहना
माँ मै आ गया ..
02/01/2024



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28 DEC 2023 AT 23:38

मिला नहीं

जो नही मिला कोई गम नही
जो मिला तो कोई फिक्र नही
एक राह पकड़ राही तू चलता चल
भले ही जीवन मे कोई रंग नही |
रंगो की दुनिया भी अजब गजब है
अब आंखो को रंगो का फ़र्क समझता नहीं ||
जो नही...
27/12/2023


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7 DEC 2023 AT 23:53

अपनी ताकत को पहचाने
आप वो चीटि हो
हाथी की सूंड मे घुस जाये तो डान्स करा दे
अगर अपनी पे आ जाये तो राज बदल दे
परवाने दिये की चाह मे बलि चढ जाए
अपनी ताकत से दुश्मन के छक्के छुड़ा दे
ताकत इंसान की स्टोर एनर्जी है
उपयोग करे तो लक्ष्य तय
दुरूपयोग करे तो सब को बरबाद करे
अपनी ताकत को पहचाने
आप वो चीटी हो सबको डान्स करा दे..

07/12/2023

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