Kamal Kaushik   (कमल कौशिक)
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Joined 30 July 2018


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Joined 30 July 2018
18 OCT 2022 AT 19:30

शहर में नया है परिंदा
लगता है ढूंढने घर आया हैं ।

उसके हिस्से मंजिल आई
मेरे हिस्से सफर आया हैं ।

साथ चलना मुुश्किल है अब
रास्ते बदलने का वक्त आया हैं ।

नए जख्म , नए किस्से लिखने
''कलम' से मेरी रक्त आया हैं।।

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14 APR 2021 AT 21:43

पुराने दोस्त
पुराने ख़्वाब
पुरानी बातें
वो गर्मी भरा दिन
और सर्द रातें ।।

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24 FEB 2021 AT 21:02

बहाने ढूंढता है
बड़ा शैतान हैं
अभी ज़िम्मेदार हुआ है
इसलिए परेशान हैं ।।

मेरी गली से रोज़ गुजरता देख तुमको
मेरा इरादा पक गया है
पर कच्चा मेरा मकान हैं ।।

अभी हालात समझ नहीं पाएगा वो मेरे
खबर मिली है परिंदा नादान हैं ।।

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31 DEC 2020 AT 20:22

मैं वो नहीं , जिससे नज़रे चुरानी पड़े
आओ खुल के बात करे
नया साल है
पुरानी बातो को याद करे
दुख थे , ग़म थे , ख़ुशी थी
आओ हस कर स्वीकार करे
माना दिल दुखाया है मैंने तुम्हारा
कान पकड़ता हूं , मुझे माफ़ करे
सहारे की जरूरत हो ना हो
हाथ पकड़ कर सफ़र साथ करे
कश्ती नहीं तो क्या
चलो तैर के दरिया पार करे
दिल मिला ले अब के बरस
गलतफहमी की हार करे
नया बरस हैं
आओ हस कर स्वीकार करे

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29 DEC 2020 AT 19:19

यूं ही नहीं मिलती इज्जत ज़माने में
ईमान माथे पर रखना पड़ता हैं
चाल - चलन गलत बता देते है लोग
बड़ा संभल के चलना पड़ता हैं।।

याद किसी की आ भी जाए तो क्या
आंखो को सूखा रखना पड़ता हैं
यूं ही नहीं मिलती मंज़िल यहां
ठोकर लग जाए तो भी चलना पड़ता हैं ।।

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30 NOV 2020 AT 14:19

जो वक्त ने सिखाया हैं
वो भला कौन सीखा पाया हैं

दर - बदर भटकने के बाद
वो मेरी चौखट पर आया हैं

छोड़ कर गया जरूर था वो
पर वक्त रहते लौट आया हैं

कांटे बोए थे रास्ते में मेरे जिसने
मेरे स्वागत में वो गुलाब लाया हैं ।।

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18 NOV 2020 AT 14:16

भले ही आज का मौसम अच्छा हो
पर वो मौसम पुराना याद आएगा ।।

एक वक्त सब ठीक होगा
पर दिल मुस्कुराना भूल जाएगा ।।




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31 OCT 2020 AT 19:42

सालो पहले की याद
दिल के आज भी पास हैं
ठंडी हवा कह रही हैं
आज कुछ ख़ास हैं !

वो खुश है दूर हो कर भी
बस उससे यही एक आश हैं
ज़िंदा तो कोई - कोई है यहां
बाकी ठंडी पड़ी लाश हैं !

ठंडी हवा कह रही हैं
आज कुछ ख़ास हैं !

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27 OCT 2020 AT 11:56

मैं एक ख्वाब हूं
अकेला हूं , बेबाक हूं ।।

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17 SEP 2020 AT 11:02

अगर साथ है
तो ये एहसान कैसे ?

बिना बताए चला जाए
वो मेहमान कैसे ?

खुदगर्जी में फसा है जो
वो इंसान कैसे ?

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