शहर में नया है परिंदा
लगता है ढूंढने घर आया हैं ।
उसके हिस्से मंजिल आई
मेरे हिस्से सफर आया हैं ।
साथ चलना मुुश्किल है अब
रास्ते बदलने का वक्त आया हैं ।
नए जख्म , नए किस्से लिखने
''कलम' से मेरी रक्त आया हैं।।-
अख़बार खुद बताएंगे
कहानी मेरे नाम की
#Raavansoch
#leapyearboy
#2... read more
पुराने दोस्त
पुराने ख़्वाब
पुरानी बातें
वो गर्मी भरा दिन
और सर्द रातें ।।
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बहाने ढूंढता है
बड़ा शैतान हैं
अभी ज़िम्मेदार हुआ है
इसलिए परेशान हैं ।।
मेरी गली से रोज़ गुजरता देख तुमको
मेरा इरादा पक गया है
पर कच्चा मेरा मकान हैं ।।
अभी हालात समझ नहीं पाएगा वो मेरे
खबर मिली है परिंदा नादान हैं ।।-
मैं वो नहीं , जिससे नज़रे चुरानी पड़े
आओ खुल के बात करे
नया साल है
पुरानी बातो को याद करे
दुख थे , ग़म थे , ख़ुशी थी
आओ हस कर स्वीकार करे
माना दिल दुखाया है मैंने तुम्हारा
कान पकड़ता हूं , मुझे माफ़ करे
सहारे की जरूरत हो ना हो
हाथ पकड़ कर सफ़र साथ करे
कश्ती नहीं तो क्या
चलो तैर के दरिया पार करे
दिल मिला ले अब के बरस
गलतफहमी की हार करे
नया बरस हैं
आओ हस कर स्वीकार करे-
यूं ही नहीं मिलती इज्जत ज़माने में
ईमान माथे पर रखना पड़ता हैं
चाल - चलन गलत बता देते है लोग
बड़ा संभल के चलना पड़ता हैं।।
याद किसी की आ भी जाए तो क्या
आंखो को सूखा रखना पड़ता हैं
यूं ही नहीं मिलती मंज़िल यहां
ठोकर लग जाए तो भी चलना पड़ता हैं ।।-
जो वक्त ने सिखाया हैं
वो भला कौन सीखा पाया हैं
दर - बदर भटकने के बाद
वो मेरी चौखट पर आया हैं
छोड़ कर गया जरूर था वो
पर वक्त रहते लौट आया हैं
कांटे बोए थे रास्ते में मेरे जिसने
मेरे स्वागत में वो गुलाब लाया हैं ।।-
भले ही आज का मौसम अच्छा हो
पर वो मौसम पुराना याद आएगा ।।
एक वक्त सब ठीक होगा
पर दिल मुस्कुराना भूल जाएगा ।।
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सालो पहले की याद
दिल के आज भी पास हैं
ठंडी हवा कह रही हैं
आज कुछ ख़ास हैं !
वो खुश है दूर हो कर भी
बस उससे यही एक आश हैं
ज़िंदा तो कोई - कोई है यहां
बाकी ठंडी पड़ी लाश हैं !
ठंडी हवा कह रही हैं
आज कुछ ख़ास हैं !-
अगर साथ है
तो ये एहसान कैसे ?
बिना बताए चला जाए
वो मेहमान कैसे ?
खुदगर्जी में फसा है जो
वो इंसान कैसे ?-