जो हक है वो हक दिया है मैंने
जिस जगह भी बैठा, थोड़ी जगह छोड़ी है मैंने
किस तरह रच बस गया है तू मुझमें,
कौन किसको समझाए सब तेरे नाम से चिढ़ा रहे मुझे।-
👉आप ही की तरह सज्जन है हम👈
तुम एक कहानी की तरह हो,
तुम्हें सुनना अच्छा तो लगता है,
पर तुम्हारे साथ जीना नहीं,-
क्योंकि तेरी मोहब्बत के फ़साने सुना रहे है,
तू हकीकत कहां है, लोग तो मुझे दीवाना बता रहे है।-
एक कह रहा है कि :- देश बिक रहा है, देश बिक रहा है,
मैंने भी कह दिया:- भाई साहब हम तो वैसे ही किराए पर रहते हैं-
विरासत में मिली है कुछ तौफ़ीक़ें,
मैं तेरी खताओं से खबरदार तो नहीं,-
मेरी जमाने से दुश्मनी कहां,
भीतर की जंग जीने देती कहां,
लगाऊं तो लगाऊं इल्जाम किसपे,
सारे गुनाह मेरे है मुकदमे हों तो किसपे,-
जाने अंजाने में छूने की बात होती तो कोई नहीं,
पर तुमने हर बार मेरे दिल को दिल से छुआ है,
चलो राह में चलते फिरते निगाहें मिलने की बात होती तो कोई नहीं,
पर जब भी तुमने निगाहें मिलाई तो तसल्लीबख्श मिली है,
तुमसे यूं ही किसी वक्त गुफ्तगू होती तो कोई बात नहीं,
पर जबसे गुफ्तगू हुई है तबसे ये सिलसिला रूकता भी नहीं है,-