तेरी बनाई हुई इस दुनिया के हर दस्तूरों पर
वरना जीने के वजह की तलाश तो आज भी है
कहने को खुशियां है पर गम की वजह ज्यादा है
अपनों की छांव में चलते पर धूप का तो अहसास है
फूलों जैसे चेहरे जब प्रेम बहार से भी न खिलते
तो शक की शिकनों से परेशानी के दीप ही जलते
अंधेरो में गैरो से नहीं अपनों से ही लूट लिए जाते
तेरी दुनिया में सब कुछ है सोच कर आगे बढ़ जाते
कहने को हम कहते तुम ही सब का एक रखवाला
तेरे इस जहां में हर कोई तेरी महक का ही दीवाना
धूप और छांव की दो रस्मों को ही तो है हमें निभाना है
इस जहां के जंगल में सत्ता तुम्हारी उसे ही तो मानना है
समय के बंधनों में तुमने, हमे इस तरह जकड़ दिया है
जिम्मेदारियों की गलियों में मानों हमें नँगा घुमा दिया है
ये अफसाना तुम्हे बता रहे तो घाव दिल के ही बढ़ रहे
सच कहें भरोसा कर लिया तभी तेरे पथ राही बन चल रहे
✍️कमल भंसाली
- कमल सिंह भंसाली