कहीं अंधेरा कहीं साया कहीं रोशनी मिलेगी
जहां भी रुकोगे वहीं, तुम्हें पराजय मिलेगी
चलते रहना हर मोड़ पे सुनहरी चांदनी मिलेगी
क्या हो तुम आज या क्या कल हो जाओगे ?
या तो तुम हीरा या कोयले की तरह हो जाओगे
सब कुछ तुम पर, कैसे जग में जाने जाओगे ?
रात में चांद निकलता, सोचो तो निखर जाओगे
✍️ कमल भंसाली
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