उस चोट पे मरहम लगाये कैसे,
घाव,
के निशान भी जहाँ नज़र नहीं आते |-
क़दम क़दम बढ़ाए जा
ख़ुशी के गीत गाए जा;
ये ज़िंदगी है क़ौम की,
तू क़ौम पे लुटाए जा।
समय है, मुस्कुराए जा,
ख़ुशी के गीत गाए जा।
ये ज़िंदगी है क़ौम की
तू क़ौम पे लुटाए जा।
जो आ पड़े कोई विपत्ति मार के भगाएँगे,
जो आए मौत सामने तो दाँत तोड़ लाएँगे,
जहाँ तलक न लक्ष्य पूर्ण हो समर करेंगे हम,
खड़ा हो शत्रु सामने तो शीश पै चढ़ेंगे हम,
विजय हमारे हाथ है
विजय-ध्वजा उड़ाए जा।
क़दम क़दम बढ़ाए जा,
ख़ुशी के गीत गाए जा।
क़दम बढ़े तो बढ़ चले, आकाश तक चढ़ेंगे हम,
लड़े हैं, लड़ रहे हैं, तो जहान से लड़ेंगे हम;
स्वतंत्रता का युद्ध है,
स्वतंत्र होके गाए जा।
क़दम क़दम बढ़ाए जा,
ख़ुशी के गीत गाए जा।
ये ज़िंदगी है क़ौम की
तू क़ौम पे लुटाए जा।
-
Dear silence...,
तुम्हे पहचानना जरा मुश्किल है! कितने मायने है तुम्हारे ।
हर शोर तुमसे शुरू होता है। और आखिर में तुम्ही में समा जाता है।
गहरे शून्य में तुम हो और अनन्त आकाश में तुम। तुम ही आदि हो तुम ही अंत हो।
हर लफ्ज़ के बीच तुम्हारे होने से उनकी पहचान है।
साज़ से निकली हर धुन शोर होती अगर तुम ना होते।
मगर एक रिश्ते के बीच तुम्हारा होना मुझे खलता है। जिन सवालों के कोई जवाब नहीं होते।
एक मात्र जवाब हो तुम। कोई तुमसे दूर भागता है।
तो कोई तुम्हे तलाश करता है। हर मुसाफ़िर की आखरी मंजिल हो तुम। शायद!
मोक्ष हो तुम!
-
Hum toh vafa kar ke bhi bewafa kehlaye ja rahe hai
Bharose ki neev par dhoke khaye ja rahe hai
-
उतनी बुरी भी नहीं हूं मैं
बस कुछ देर के लिए उलझी हुई हूं अपनी जिंदगी में
पर इतनी बुरी भी नहीं हूं मैं।
हां माना ग़लतियां बहुत करती हूँ
और समझ भी नहीं पाती के गलती हुई,
पर वो मेरी नजरअंदाजी नहीं
थोड़ी वक़्त की उलझन है क्यूंकि
इतनी बुरी भी नहीं हूं मैं।
हाँ थोड़ी उलझ सी गई हूं
थोड़ी टूट सी गई हूं
वो क्या है लड़ाई अकेले लड़ती आई हूं ना
थोड़ा बिखर सी गई हूं मैं
-
आज तिरंगा फहराता है अपनी पूरी शान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
आज़ादी के लिए हमारी लंबी चली लड़ाई थी।
लाखों लोगों ने प्राणों से कीमत बड़ी चुकाई थी।।
व्यापारी बनकर आए और छल से हम पर राज किया।
हमको आपस में लड़वाने की नीति अपनाई थी।।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
जियो और जीने दो का सबको देता संदेश है।।
प्रहरी बनकर खड़ा हिमालय जिसके उत्तर द्वार पर।
हिंद महासागर दक्षिण में इसके लिए विशेष है।।
लगी गूँजने दसों दिशाएँ वीरों के यशगान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
हमें हमारी मातृभूमि से इतना मिला दुलार है।
हम न कभी हिंसा के आगे अपना शीश झुकाएँगे।
सच पूछो तो पूरा विश्व हमारा ही परिवार है।।
विश्वशांति की चली हवाएँ अपने हिंदुस्तान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।-
मुश्किलों का आना Part of Life है....!!!
और उनमें से हास् कर बहार आना Art of life है...!!!-
बोलने से जब अपने रूठ जाए करते है
तब खामोशी को अपना लेना चाहिए-
Life is too short to regret.....
Just remember
" किस्मत की हवा कभी नरम कभी गरम "
And move on ❤️!!-
Jis nazar se dekhoge ZINDAGI vaise hi nazar aaygi
Nazariya badloge toh ZINDAGI badal jayegi....-