ये मत पूछो बिना तेरे सनम हम कैसे रहते हैं
तेरे जाने से ये जाना क़यामत किसको कहते हैं
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विशेषण
1.तलब करनेवाला।
2.खोजनेवाला।
तालिब हूँ मैं कुछ ऐसे भी रिश्तों के ए कमाल
कि जिस ... read more
कमाल अपने ही कातिल की हिमायत कर रहे हो तुम
क्या दूनिया में कोई दिल का नरम ऐसा भी होता है-
मेरा गर्दिश में तारा चल रहा है
अभी सिक्का तुम्हारा चल रहा है
हमारा हाल जो तुम पूछते हो
तो सुनलों बस गुजारा चल रहा है
नहीं दरकार मेरी पैरबी भी
मगर तेरा इशारा चल रहा है
भ्रम ये है कि कश्ती चल रही है
हक़ीक़त ये किनारा चल रहा है
सहारा है नहीं दुनियां का मुझको
मेरे रब का सहारा चल रहा है-
उल्फ़त की राह दोस्तों आसान नहीं है
ज़िंदा हूँ मगर मुझमें मेरी जान नहीं है
उसकी वज़ह से मेरा ज़माने में नाम था
बिन उसके मेरी कोई भी पहचान नही है
अपनों ने मुझे छोड़ा नहीं इसका ग़म मुझे
अफसोस मेरे साथ मेरी जान नही है
क्यों रोएं गिड़गिड़ाए की वो हाल पूछले
वाक़िफ है मेरे ग़म से वो अंजान नहीं है
मरने की आरज़ू है ख़ुदा की कसम मुझे
जीने का ए कमाल अब अरमान नही है-
अगर इश्क़ तुमको निभाना नहीं था
तो फिर मेरे दिल में समाना नहीं था
मेरे दिल ने हमदर्द समझा था तुमको
हो तुम इतने बेदर्द जाना नहीं था
हंसाने का तुमको हुनर जब नही तो
मेरी जान मुझको रुलाना नहीं था
गवारा नहीं था अगर साथ मेरा
तो फिर मुझसे नजरें लड़ाना नहीं था
कमाल आपके बिन मैं जीना न सकूंगी
कसम थी ये झूठी तो खाना नहीं था-
तुम्हारे छूवन से महकता बदन है
लगी मेरे दिल में इश्क़ की लगन है
नवंबर की शुरूआत है तुम नहीं हो
ये घनघोर बादल और ठंडी पवन है
कड़ाके की सर्दी में हम तुम जुदा हैं
जिस्म में धधकती हुईं यूं अगन है
इधर मैं हूँ की जो मुखातिब हूँ तुमसे
उधर तू सनम नींद में ही मगन है
कमाल एक तुम ही नही इसके मारे
मोहब्बत का मारा ये सारा चमन है-
तुम्हारी याद में जाना गुज़र जाएगी जब रातें
तो फिर तुम आओ न आओ क्या इससे फर्क पड़ता है-
जब मिलल जाई त दुनियां के बतावल जाई
प्रेम का होला ई हम करके दिखावल जाई-
जो अब तक साथ में गुजरा सुहाना दौर था लेकिन
जुदाई का समय आया चलो अब अलविदा कह दो-
मोहब्बतों में यूंही ख्वाहिशें अधूरी है
हो दोनों दिल में कशिश ये बहुत ज़रूरी है-